घाघीडीह सेंट्रल जेल में बहनों ने अपने कैदी भाईयों को बांधी राखी
जेल प्रशासन ने इस खास मौके के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की थी। बहनों को पाँच-पाँच के समूह में प्रवेश की अनुमति दी गई। प्रवेश से पहले महिला पुलिसकर्मियों ने उनकी पूरी तलाशी ली और केवल राखी, मिठाई और पारंपरिक पूजा सामग्री ही अंदर ले जाने की इजाजत दी। किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या अतिरिक्त सामान पर सख्त पाबंदी थी।
गेट के इस पार खड़ी बहनें और उस पार खड़े भाई दोनों ओर भावनाओं का सैलाब था। कहीं मुस्कुराहटें थीं तो कहीं आंसुओं से भरी आंखें। बहनों ने भगवान से दुआ की कि अगले साल वे अपने भाइयों को घर पर राखी बांध सकें, न कि जेल की दीवारों के पार से। कई ने उम्मीद जताई कि उनके भाई जल्द रिहा होकर नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे।
जेल अधीक्षक ने बताया कि ऐसे अवसर कैदियों को परिवार और रिश्तों के महत्व का एहसास कराते हैं तथा उन्हें सकारात्मक सोच और बदलाव की ओर प्रेरित करते हैं।