News Chetna

सच की ताजगी, आपकी अपेक्षा

MP

सैयदा हमीद : मानवता की आड़ में देशहित पर हमला

जनसांख्यिकीय संकट

असम और बंगाल जैसे राज्यों में घुसपैठियों की वजह से स्थानीय जनसंख्या का संतुलन बदल रहा है। यह स्थानीय संस्कृति, भाषा और पहचान के लिए गंभीर खतरा है। दूसरी ओर कानून के स्‍तर पर भी 1985 के असम समझौते में साफ लिखा है कि 24 मार्च 1971 के बाद आए बांग्लादेशी नागरिक अवैध माने जाएँगे। ऐसे में इनका भारत में रहना किसी भी रूप में वैध नहीं है।

सैयदा हमीद इसलिए भी गलत हैं?

सैयदा हमीद ने कहा कि “बांग्लादेशी भी इंसान हैं और उन्हें रहने का हक है।” लेकिन यह बयान देशहित के खिलाफ है क्योंकि भारत किसी भी देश का डंपिंग ग्राउंड नहीं है। हर देश को यह अधिकार है कि वह अपने नागरिकों की पहचान और संसाधनों की रक्षा करे। अगर बांग्लादेशी यहाँ रहेंगे तो स्थानीय असमी, बंगाली हिंदू, बोडो, त्रिपुरी और अन्य समुदायों के अधिकारों का हनन होगा। अवैध प्रवास केवल असम ही नहीं बल्कि पूरे भारत की आंतरिक सुरक्षा और विकास को कमजोर करता है। जिन्‍हें मानवता के नाम पर राजनीति करनी है, वह भी समझ लें कि मानवता का तर्क केवल भावनाओं पर टिका है। लेकिन राष्ट्रहित कानून, आंकड़ों और ठोस हकीकत पर आधारित है। कोई भी सभ्य समाज यह नहीं कह सकता कि सीमा पार से आए लोग अनंत काल तक उसकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा करते रहें।

यहां असल बात यह है कि सैयदा हमीद जैसे बयान देने वाले लोग मानवता की आड़ में भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। घुसपैठिए न केवल स्थानीय लोगों के अधिकार छीनते हैं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर बोझ, अपराधों में बढ़ोतरी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा भी बनते हैं। इसलिए यह स्थापित करना बेहद जरूरी है कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत के लिए नासूर हैं। मानवता का झूठा चोला ओढ़कर उनकी पैरवी करना न केवल गुमराह करने वाला है बल्कि देशहित के खिलाफ सीधा अपराध है और अपराधी के लिए भारत का संविधान सजा का प्रावधान करता है।

Leave a Reply