लंबित डीए को लेकर हिमाचल विधानसभा में हंगामा, भाजपा का वाकआउट
विपक्ष के सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए 11 फीसदी डीए लंबित है, लेकिन वित्तीय संकट के कारण इसे तत्काल जारी करना संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने के चलते केंद्र से मिलने वाली ग्रांट में भारी कमी आई है। पूर्व सरकार के समय राजस्व घाटे की ग्रांट लगभग 10 हजार करोड़ थी, जो अब घटकर 3200 करोड़ रह गई है। इसके कारण प्रदेश की वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि जैसे ही वित्तीय स्थिति सुधरेगी, लंबित डीए अवश्य जारी किया जाएगा।
भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने अपने मूल सवाल में पूछा कि 1 जुलाई 2023 से 11 फीसदी डीए लंबित है, इसे कब जारी किया जाएगा। इसके बाद जयराम ठाकुर ने अनुपूरक सवाल में कहा कि कर्मचारियों की नाराजगी के कारण ही कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है, इसलिए उनकी मांगों को पूरा करना सरकार का दायित्व है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस सरकार अपने वादों के प्रति गंभीर है। इसी प्रकार विक्रम ठाकुर ने अनुपूरक सवाल में मुख्यमंत्री पर बजट सत्र में मई में डीए जारी करने की घोषणा के बाद भी उसे नहीं देने का आरोप लगाया और सदन में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक होते ही डीए की किश्तें बजट घोषणा के अनुसार दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने भी 3-4 फीसदी डीए लंबित रखा था, जिसे उनकी सरकार ने जारी किया। उन्होंने बताया कि ओल्ड पेंशन स्कीम के कारण केंद्र से लगभग 4800 करोड़ रुपये की ग्रांट नहीं मिल पाई है, जिससे वित्तीय संकट और गहरा गया है। इसके बावजूद उन्होंने कर्मचारियों का एरियर चरणबद्ध तरीके से जारी करने का भरोसा दिया।
मुख्यमंत्री के जवाब के बाद विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे विधानसभा का माहौल तनावपूर्ण हो गया। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के बार-बार आग्रह के बावजूद विपक्ष ने हंगामा बंद नहीं किया और अंततः सदन से वाकआउट कर दिया।