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194 करोड़ के साइबर अपराध में आरोपित की अग्रिम जमानत मंजूर

गौरतलब है कि आजमगढ़ पुलिस ने क्रिकेट बज नामक ऑनलाइन गेम की आड़ में साइबर धोखाधड़ी करने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ कर गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इस गिरोह ने 208 बैंक खातों से लगभग 95 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी की, जिसमें एक करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए गए।

पुलिस ने 20 हजार रुपये नकद, 51 मोबाइल, चार लैपटॉप, 42 एटीएम कार्ड, 13 बैंक पासबुक, 79 सिम कार्ड, चार चेकबुक और एक फाइबर राउटर सहित 15 लाख रुपये मूल्य का सामान भी जब्त किया था। इस मामले में वाराणसी के बड़ालालपुर थानाक्षेत्र के पांडेयपुर से गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था। गिरोह व्हाट्सएप, टेलीग्राम और फेसबुक के जरिए लोगों को एक वेबसाइट पर लॉग इन करने के लिए लुभाता था (ऑनलाइन गेम/टास्क के जरिए पैसे दोगुने या तिगुने करने का वादा करके) और उनके पैसे फर्जी खातों और मोबाइल में ट्रांसफर करता था। गिरफ्तारी के बाद बीएनएस की धारा 318(4), 319(2) 336(3), 338, 340(2), 111, सार्वजनिक जुआ अधिनियम की धारा तीन और आईटी एक्ट की धारा 66सी, 66डी के तहत आजमगढ़ के साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।

याची की ओर से तर्क में कहा गया कि वह निर्दोष है। उसे द्वेषवश तंग व परेशान करने की नीयत से झूठा फंसाया गया है। साथ ही याची को आशंका है कि उसे उक्त मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है जबकि उसके विरुद्ध कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं है। यह भी तथ्य सामने आया कि याची के विरुद्ध अभी आरोप पत्र दाखिल नहीं है, अन्य सह अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। कहा गया कि याची ट्रायल और जांच के दौरान सहयोग करेगा और समय पर उपस्थित रहेगा एवं यह आश्वासन दिया गया कि याची कानून की प्रक्रिया में सहयोग के लिए तैयार है और जब भी आवश्यकता होगी वह ईमानदारी से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपों की प्रकृति, याची की भूमिका और मामले के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मामले के गुण-दोष पर बिना कोई विचार व्यक्त किए शर्तो के साथ अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया।

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