गली-मोहल्लों में खेलने से वंचित बच्चों पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब
गली-मोहल्लों में खेलने से वंचित बच्चों पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब
-‘खेलो इंडिया’ के तहत मैदान विकसित करने पर सरकार से जवाब तलब-बचपन को मोबाइल-कंप्यूटर से बचाने पर न्यायालय की चिंता
नैनीताल, 9 मई (हि.स.)। हाईकोर्ट ने गली-मोहल्लों में खेलने से वंचित बच्चों की समस्याओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की और इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 16 जून नियत की है।मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने पहले ही न्यायमित्र से सुझाव मांगे थे कि समाज किस तरह खेलों से वंचित बच्चों को समर्थन देकर उन्हें बेहतर नागरिक बनाने में सहयोग कर सकता है।मामले के अनुसार, क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली के एक वीडियों के आधार पर कुछ बच्चों ने 2023 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर उनके खेलने के लिए मैदान न होने व गली मोहल्लों में अंकल, आंटी द्वारा खेलने से मना करने से उनका बचपन प्रभावित होने की शिकायत की थी। इस पत्र का हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में खेल मंत्रालय भारत सरकार, खेल निदेशक उत्तराखंड, सचिव शहरी विकास उत्तराखंड से जवाब मांगा था। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि खेलो इंडिया के तहत कोई ऐसी पॉलिसी है, जिसके तहत बच्चों के शारीरिक विकास हेतु खेल के मैदान बनाए जा सकें। हाईकोर्ट ने पूर्व में कहा था कि खेल के मैदान न होने से बच्चे मोबाइल, कम्प्यूटर में समय बर्बाद कर रहे हैं, जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास बाधित हो रहा है।
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