अयोध्या बनी महाकुंभ की स्टार डेस्टिनेशन, श्रद्धालुओं ने खर्च किए हजारों, क्या है सरकार की योजना?
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज संगम को प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता मिली है। हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म और कल्चर द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि जब लोगों से उनके पसंदीदा गंतव्य के बारे में पूछा गया, तो अधिकांश ने अयोध्या का नाम लिया। यह सर्वेक्षण महाकुंभ के दौरान किया गया था, जिसमें घरेलू दर्शकों ने संगम को परिवार के साथ यात्रा करने के लिए सर्वोच्च स्थान दिया, जबकि विदेशी पर्यटकों ने इसे व्यक्तिगत यात्रा के लिए पसंद किया।
इस सर्वे में यह भी दर्शाया गया कि महाकुंभ के दौरान प्रतिभागियों ने औसत 5,877 रुपये खर्च किए। इसमें से लगभग 41 प्रतिशत यातायात पर, 16 प्रतिशत ठहरने की व्यवस्था पर, और 11 प्रतिशत भोजन पर खर्च किया गया। इसके अतिरिक्त, श्रद्धालुओं ने पूजा सामग्री खरीदने पर भी समकक्ष राशि खर्च की। अगर देखा जाए, तो महाकुंभ में लगभग 66 करोड़ लोग शामिल हुए थे, जिसने कुल अर्थव्यवस्था में 3.88 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की।
मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म और कल्चर द्वारा 2025 के महाकुंभ के लिए ‘महाकुंभ स्पिरिचुअल सर्वे’ भी किया जाएगा, जिसमें 45 देशों के 3,52,388 लोगों को शामिल किया जाएगा। यह सर्वे जनवरी से फरवरी 2025 के बीच प्रयागराज में विभिन्न जगहों पर होगा, जिसका उद्देश्य देश के शीर्ष पर्यटन स्थलों की पहचान करना और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना है।
महाकुंभ के चलते अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन भी किया गया है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. आनंदनाथन ने कहा कि महाकुंभ का आयोजन भारत की GDP वृद्धि में योगदान करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि महाकुंभ में 7,500 करोड़ के निवेश के परिणामस्वरूप 3 लाख करोड़ रुपये का व्यापार बढ़ा। उन्होंने एक नाविक का उदाहरण देते हुए बताया कि उसने मात्र 45 दिनों में नाव चलाकर 30 करोड़ रुपये की कमाई की।
सरकार ने महाकुंभ के आयोजन में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कुल 14,000 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसमें लगभग 7,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और उतनी ही राशि राज्य सरकार से आई। राज्य सरकार ने महाकुंभ के बाद वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या के लिए एक विशेष धार्मिक पर्यटन सर्किट बनाने की योजना भी बनाई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य इन क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और यहां की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है।
इस प्रकार, महाकुंभ का आयोजन न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह पर्यटकों की बढ़ती संख्या और आर्थिक पूंजी का भी महत्वपूर्ण स्रोत बना है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिला है। इस संदर्भ में, आगे की योजनाएं भी हलचल में हैं, जिससे प्रदेश के धार्मिक स्थलों में और अधिक आमदनी होने की संभावना है।