नुसरत ने बिकिनी से तोड़े टैबू, बोले- भारत में खुलेआम मुमकिन नहीं!
एक्ट्रेस नुसरत भरुचा ने हाल ही में अपने करियर से जुड़ा एक रोचक अनुभव साझा किया है, जिसमें उन्होंने अपनी फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’ के दौरान बिकिनी पहनने की चुनौती का सामना किया। एक इंटरव्यू में नुसरत ने खुलासा किया कि इस अहम सीन के लिए उन्हें बिकिनी पहनने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने इस विचार से पहले काफी हिचक महसूस की। उनका ये अनुभव इस बात का उदाहरण है कि किस तरह वे अपने व्यक्तिगत अनुभवों को अभिनय में समाहित करती हैं। नुसरत ने कहा, “मैंने कभी एक्टिंग की कोई औपचारिक ट्रेनिंग नहीं ली है, इसलिए मैं अपने असली जीवन के अनुभवों को ही स्क्रिन पर पेश कर पाती हूं।”
बिकिनी पहनने को लेकर अपनी चिंताओं को नुसरत ने फिल्म के डायरेक्टर लव रंजन के सामने रखा। उन्होंने कहा, “मैंने लव सर से स्पष्ट रूप से कहा कि यदि मैं बिकिनी पहन भी लूं, तो मैं उस स्थिति में सहज महसूस नहीं करूंगी, और इसका असर शॉट में भी दिखाई देगा।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक वे इस बात को स्वीकार नहीं करतीं, तब तक कैमरे के सामने प्रदर्शन नैचरल नहीं लगेगा। इस चुनौती से निपटने के लिए नुसरत ने एक अनोखा कदम उठाया।
नुसरत ने अपने डर और संकोच को दूर करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सोलो ट्रिप पर जाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया, “भारत में बिकिनी पहनकर सार्वजनिक रूप से घूमना आम बात नहीं है। इसलिए मैंने अपने सफर के दौरान तीन दिन तक लगातार बिकिनी पहनी – चाहे वो होटल में हो, पूल पर या समुद्र तट पर।” उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वे इस स्थिति का सामना करके अपने अंदर के टैबू को तोड़ सकें। यहां तक कि दूसरे दिन उन्हें यह महसूस हुआ कि बिकिनी पहनना अब उनके लिए सामान्य हो चुका है। उन्होंने कहा, “मुझे एहसास हुआ कि अब यह मेरे लिए नॉर्मल हो गया है। मैंने खुद को यह साबित किया कि बिकिनी में घूमना कोई बड़ी बात नहीं है।”
किसी भी एक्ट्रेस के लिए अपनी सीमाओं को पार करना और नए अनुभव लेना हमेशा महत्वपूर्ण रहता है। इस अनुभव के बाद नुसरत भरुचा ने न केवल अपने मानसिक तार्किकता को चुनौती दी, बल्कि खुद पर विश्वास करना भी सीखा। उन्होंने अपनी पहले की फिल्मों के साथ-साथ अब अपनी आगामी परियोजनाओं में भी इसी आत्मविश्वास को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। हाल ही में, नुसरत फिल्म ‘छोरी 2’ में नजर आई थीं, जो उनकी सशक्त भूमिका के लिए चर्चित रही। उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि किसी भी चीज को अपनाने के लिए आत्मसंयम और साहस की आवश्यकता होती है।