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जैसलमेर में एआई तकनीक से जन्मा तीसरा गोडावण: भारत बना दुनिया का पहला देश, गोडावणों की संख्या पहुंची 55

जैसलमेर में एआई तकनीक से जन्मा तीसरा गोडावण: भारत बना दुनिया का पहला देश, गोडावणों की संख्या पहुंची 55

जैसलमेर, 19 अप्रैल (हि.स.)। जैसलमेर के सम गांव स्थित सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (AI) यानी कृत्रिम गर्भाधान के ज़रिए एक और गोडावण चूजे का जन्म हुआ है। इस तकनीक से जन्म लेने वाला यह तीसरा गोडावण है। दावा किया जा रहा है कि इस विधि से गोडावण को जन्म देने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।

डेज़र्ट नेशनल पार्क के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि रामदेवरा स्थित केंद्र से नर गोडावण ‘सुदा’ के स्पर्म लेकर सुदासरी स्थित मादा गोडावण ‘शार्की’ को कृत्रिम रूप से गर्भित किया गया। शार्की ने 26 मार्च को अंडा दिया था, जिससे 17 अप्रैल को चूजे का जन्म हुआ। अब इस ब्रीडिंग सेंटर में गोडावणों की कुल संख्या बढ़कर 55 हो गई है।

यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में पहली बार इसी प्रक्रिया द्वारा एक गोडावण का जन्म हुआ था और अब 2025 में दो और चूजों ने जन्म लिया है। यह उपलब्धि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) जैसी संकटग्रस्त प्रजाति के संरक्षण में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

डीएफओ गुप्ता ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत नर गोडावण को एक कृत्रिम मादा के समक्ष विशेष प्रशिक्षण देकर तैयार किया गया, ताकि वह बिना प्राकृतिक संसर्ग के स्पर्म दे सके। इस प्रशिक्षण में लगभग आठ महीने का समय लगा। इसके बाद प्राप्त स्पर्म का प्रयोग मादा गोडावण में कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया गया। पहले जन्मे गोडावण के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी। 20 सितंबर 2024 को मादा ‘टोनी’ को कृत्रिम रूप से गर्भित किया गया था, जिससे पहला गोडावण चूजा पैदा हुआ। इस सफलता ने प्रोजेक्ट जीआईबी (Great Indian Bustard) को नई दिशा दी है।

गुप्ता ने आगे बताया कि इस तकनीक की प्रेरणा अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन (IFHC) से ली गई, जहां इस पद्धति का प्रयोग ‘तिलोर’ पक्षियों पर किया गया था। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने वहां जाकर इस तकनीक का अध्ययन किया और भारत में गोडावण पर इसे सफलतापूर्वक लागू किया।

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