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काशी में ध्वस्त होंगी 6 मस्जिदें: मुस्लिमों का रोष, व्यापारी भी चिंता में क्यों?

वाराणसी में दालमंडी मार्केट के दुकानदारों का विरोध एक गंभीर मुद्दा बन गया है। दुकानदार अजीजुर्रहमान की भावुकता इस बात की द्योतक है कि वे अपने व्यवसाय और जिंदगी को लेकर चिंतित हैं। 10,000 से ज्यादा दुकानदारों का यह समूह सरकार के द्वारा दालमंडी की सड़क चौड़ीकरण योजना का विरोध कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 6 मस्जिदों को भी तोड़ने की योजना बनाई गई है, जिससे लोगों में भारी आक्रोश है। अजीजुरrahman का कहना है कि यदि बुलडोजर आया तो वह इसके नीचे लेटने के लिए भी तैयार हैं। इसका मतलब साफ है कि उनका जीवन और व्यापार इस योजना से खतरे में है।

दालमंडी के अन्य दुकानदार भी इस समस्या को लेकर चिंतित हैं। मधु अरोड़ा, जिन्होंने अपने दुकान को पिछले कई वर्षों से चलाया है, का कहना है कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में भी कोई विशेष समस्या उत्पन्न नहीं हुई। ऐसे में सड़क चौड़ी करने की आवश्यकता का कोई ठोस आधार नहीं है। दुकानदारों का मानना है कि यह योजना केवल श्रद्धालुओं के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय जनता के मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि विकास की कुछ योजनाएँ हालात को और भी जटिल बना सकती हैं।

राहुल अरोड़ा, जो कनफेक्शनरी की दुकान चलाते हैं, ने सुझाव दिया है कि बाजार को उस स्थान पर चौड़ा किया जाना चाहिए, जहाँ कम प्रभाव पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सिर्फ विकास के नाम पर सड़क को चौड़ा करने की सोच ली गई, तो स्थानीय व्यापारी कहीं नहीं रहेंगे। उनका कहना है कि अगर दुकानदारों को विस्थापित किया गया, तो उनकी स्थिति और भी खराब हो जाएगी।

दालमंडी में बहुत से दुकानदारों की बातें बताती हैं कि उनका यहाँ का व्यवसाय पुरानी पीढ़ियों से चला आ रहा है। हफीजुर्रहमान ने बताया कि उनका परिवार पिछले 150 वर्षों से यहाँ दुकानदार है। ऐसे में किसी भी प्रकार का विस्थापन उनके लिए बहुत मेहनत से बनाई गई जिंदगी को खत्म कर सकता है। मोहम्मद यासीन गुड्डू का कहना है कि उनकी दुकान और घर आजादी के पहले से रजिस्टर्ड हैं। ये सब बातें इस बात को और मजबूत करती हैं कि दुकानदारों की स्थिति को उचित तरीके से समझा जाना चाहिए।

इस बीच, दालमंडी का चौड़ीकरण प्रोजेक्ट 220 करोड़ की लागत से रेखांकित किया गया है। यह परियोजना सीएम योगी आदित्यनाथ की समीक्षा बैठक के बाद गति पकड़ चुकी है। पीडब्ल्यूडी ने सड़क चौड़ीकरण के लिए आवश्यक डेटा भी एकत्रित किया है, ताकि मुआवजे के तहत विस्थापित लोगों को उचित वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। हालांकि, स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि पहले उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान किये बिना इस परियोजना का कार्यान्वयन आगे नहीं बढ़ना चाहिए।

इस मुद्दे पर आम जनता की राय को लेकर भी चर्चा की जा रही है, जो न केवल स्थानीय व्यापारियों के हित में है, बल्कि शहर के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। साथ ही, इस समस्या का समाधान न होना लोकल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है और यह दर्शाता है कि विकास की योजनाओं में जनसुविधा का ध्यान रखना कितना आवश्यक है।

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