छोटे उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार: अब 50 यूनिट तक बिजली 25% महंगी होगी!
जयपुर, अजमेर और जोधपुर विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) ने बिजली के दामों में वृद्धि करने की योजना बनाई है। डिस्कॉम्स ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) में बिजली की टैरिफ को पुनः निर्धारित करने हेतु एक याचिका प्रस्तुत की है। यदि आयोग इस याचिका को मंजूर करता है, तो टैक्स अनिवार्य रूप से 1 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से वसूला जाएगा। प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि 50 यूनिट तक बिजली का उपभोग करने वाले छोटे और गरीब उपभोक्ताओं पर सबसे अधिक बोझ डाला जाएगा, जहां उनके बिजली कीमत को लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। वर्तमान में, 50 यूनिट तक उपभोग करने वालों के लिए रेट 4.75 रुपये है, जबकि यह नए प्रस्ताव के लागू होने पर 6 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगा।
हालांकि, अन्य श्रेणियों में टैरिफ में कमी का प्रस्ताव भी रखा गया है, परंतु उन उपभोक्ताओं पर स्थायी शुल्क एवं अन्य शुल्कों में वृद्धि देखने को मिलेगी। आयोग इस याचिका पर निर्णय करने से पहले जनसुनवाई करेगा। डिस्कॉम के चीफ इंजीनियर एसके राजपूत ने कहा कि यह पहली बार है जब सभी श्रेणियों में विद्युत शुल्क में कमी का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि अतिरिक्त विनियामक अधिभार लगाने के बाद भी उपभोक्ताओं के बिलों पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा और आने वाले समय में टैरिफ में सहजता आएगी।
इसके अलावा, जलदाय विभाग ने जयपुर और अन्य शहरों में पानी की टैरिफ में चार गुना वृद्धि करने का निर्णय लिया है, लेकिन इस भार का बोझ राज्य सरकार ही उठाएगी। इससे सरकार पर सालाना 2100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय आदान-प्रदान होगा। वित्त विभाग ने इस संशोधन को मंजूरी दे दी है। जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने बताया कि 2017 से पानी की दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई थी, जबकि उस समय से लागत लगभग चार से पांच गुना बढ़ गई है।
दूसरी तरफ, डिस्कॉम ने 10 किलोवॉट से अधिक लोड वाले उपभोक्ताओं के लिए टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अनुसार, सुबह 6 से 8 बजे तक बिजली का उपभोग करने पर 5 प्रतिशत अधिक शुल्क लगेगा, जबकि शाम 6 से रात 10 बजे तक बिजली का उपभोग करने पर यह शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ जाएगा। इसके विपरीत, दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक बिजली के उपयोग पर 10 प्रतिशत की छूट भी दी जाएगी। टीओडी का सबसे ज्यादा प्रभाव घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जबकि अघरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को इससे लाभ होगा।
इस नई नीतियों के साथ, विद्युत और पानी की दरों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, जिससे उन्हें अपनी मासिक बजट को फिर से समायोजित करना पड़ सकता है। सरकार इन बदलावों के पीछे के कारणों और संभावित प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करेगी ताकि लोगों की जरूरतों का ध्यान रखा जा सके।