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सॉन्ग पर बैन के बावजूद हरियाणवी सिंगर बिलबोर्ड टॉप-20 में धमाकेदार एंट्री!

हरियाणा में हाल ही में गन कल्चर पर आधारित गानों पर प्रतिबंध के चलते हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यूजिक चार्ट्स में जबरदस्त सफलता हासिल की है। मासूम के तीन गाने ‘पिस्तौल’, ‘चंबल के डाकू’ और ‘खटोला-2’ वर्तमान में बिलबोर्ड की इंडिया लिस्ट में ट्रेंड कर रहे हैं, जहां ‘पिस्तौल’ और ‘चंबल के डाकू’ टॉप-10 में हैं, जबकि ‘खटोला-2’ 14वें नंबर पर है। यह बेहद दिलचस्प है कि हरियाणा सरकार ने ‘खटोला-2’ को पहले ही बैन कर दिया है, इसके बावजूद यह गाना अन्य राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल और राजस्थान में काफी सुनने को मिल रहा है। इसके अलावा, स्पॉटिफाई जैसे म्यूजिक ऐप पर भी मासूम शर्मा के गाने ट्रेंडिंग लिस्ट में शामिल हैं।

हरियाणवी संगीत का यह नया मुकाम हरियाणा इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हो रहा है। आमतौर पर बिलबोर्ड के चार्ट्स पर मुख्य रूप से बॉलीवुड के गाने ही नजर आते हैं, लेकिन इस बार हरियाणा के तीन गानों ने अपनी जगह बना ली है। पिछले साल, हरियाणवी सिंगर ढांडा न्योलीवाला का ‘रशियन बंदाना’ भी टॉप-20 में शामिल हुआ था, जो इस बात को और प्रगाढ़ता प्रदान करता है कि हरियाणवी संगीत अब तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है।

हालांकि, मासूम शर्मा के गाने प्रतिबंध के चलते विवादों में भी घिर गए हैं। भाजपा सरकार की अगुआई में नायब सिंह सैनी ने गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गानों को बैन करना शुरू किया था। इस प्रक्रिया में, सबसे पहले बैन होने वाले गानों में से तीन मासूम शर्मा के थे। इस बैन के बाद मासूम ने बगैर नाम लिए गजेंद्र फोगाट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार में एक व्यक्ति ने उसे निजी खुन्नस के कारण निशाना बनाया है। इसके जवाब में गजेंद्र ने कहा कि मासूम सिर्फ प्रसिद्धि पाने के लिए विवाद कर रहे हैं।

बात इतनी आगे बढ़ गई कि इस मुद्दे पर खींचतान शुरू हो गई। सरकार ने गजेंद्र फोगाट को चंडीगढ़ में अपने कमरे से हटा दिया था, जो कि मासूम पर एक तरह का दबदबा बनाने का प्रयास रहा। गजेंद्र फोगाट ने हरियाणवी सिंगर्स पर पाकिस्तान से फंडिंग की आशंका के आरोप लगाए, जिसे मासूम ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के कलाकार अपने काम के कारण अच्छे पैसे कमा रहे हैं।

संगीत जगत में तनाव की स्थिति के बीच मासूम ने सुझाव दिया कि यदि सरकार गन कल्चर पर गाने बैन कर रही है तो उन्हें ‘तड़कै पावेगी लाश’ जैसे गाने पर भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इस पर गजेंद्र फोगाट ने मासूम को यह कहते हुए नकारा कि वह उसकी लीग के कलाकार नहीं हैं और सिर्फ विवाद पैदा कर रहे हैं। इस स्थिति ने हरियाणवी संगीत की दुनिया को एक नई दिशा दी है, जहां अब इन मतभेदों के बीच भी कलाकारों की लोकप्रियता में वृद्धि हो रही है।

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