बब्बू मान ने मासूम शर्मा का समर्थन किया, कहा- सरकार बंद करे वेपन लाइसेंस!
हरियाणा में गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गानों पर बैन के बाद हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में हलचल मच गई है। इस पर पंजाबी सिंगर बब्बू मान ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा है कि मासूम शर्मा और अन्य कलाकारों के गानों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में बब्बू मान ने बताया कि 15 साल पहले हरियाणा के युवा उनसे मिलने आते थे और वे उन्हें लोक गीत बनाने की सलाह देते थे। अब उन युवाओं ने म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना ली है और ऐसे गानों पर बैन लगाना गलत है। उन्होंने कहा, “अगर इन गानों को गलत मानते हैं तो फिर फिल्मों में हिंसा को क्यों नहीं रोकते, जैसे कि ‘बाहुबली’ और ‘पुष्पा’, जिन्हें सेंसर बोर्ड ने पास किया है।”
मासूम शर्मा ने 14 मार्च को होली के दिन अपने सोशल मीडिया पर लाइव आकर बताया कि उनके गाने यूट्यूब से बैन कर दिए गए हैं। उन्होंने साफ कहा कि अगर सरकार चाहती है कि ऐसे गाने न बनें तो वह उनके साथ है, लेकिन बिना भेदभाव के कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि केवल उनके गानों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि यूट्यूब पर ऐसे हजारों गाने मौजूद हैं। अगर यही भेदभाव जारी रहा, तो हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होगा।
बब्बू मान ने इस बात की भी ओर इशारा किया कि पंजाब में गन कल्चर पर आधारित हजारों गाने बने हैं, और ये सभी गाने युवाओं में लोकप्रिय हैं। पंजाबी संगीत को सुनने वाले युवा, हरियाणा के गाने भी सुनते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि कलाकारों पर समानता से कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, “अगर गानों से कोई नुकसान होता है, तो सरकार को हथियारों पर भी रोक लगाने की जरूरत है।”
इस विवाद के बीच, हरियाणवी सिंगर रोहतकिया का भी एक गाना बैन हुआ है, जो अब तक 10 मिलियन व्यूज पा चुका था। इसके अलावा, मासूम शर्मा के एक शो को भी गुरुग्राम में ACP द्वारा रोक दिया गया था, जिस पर पुलिस ने कहा था कि वे अनुमति के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।
कुछ बॉलीवुड एक्टर भी इस मामले में हरियाणवी गायकों के पक्ष में खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि गन कल्चर पर बैन लगाना सही है, लेकिन कलाकारों को टारगेट करना गलत है। इस विवाद ने उद्योग में आपसी झगड़े को बढ़ा दिया है, जहां मासूम शर्मा ने अन्य गानों को भी बंद करने की मांग की है। इस पूरी स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हरियाणवी संगीत को बचाने के लिए कलाकारों और सरकार के बीच संवाद जरूरी है।