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माछीवाड़ा: सिख संगठनों का शराब बिक्री के खिलाफ हल्लाबोल, ठेके बंद, पुलिस अलर्ट!

श्री माछीवाड़ा साहिब की पवित्र भूमि पर हाल ही में आयोजित एक शहीदी सभा के दौरान देर रात शराब की बिक्री को लेकर गंभीर विरोध प्रदर्शन हुआ। स्थानीय सिख संगठनों ने जब यह सुचना प्राप्त की कि बंद हुई शराब की दुकानों में शराब बेची जा रही है, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। जानकारी के अनुसार, जब संगठनों के प्रतिनिधियों ने मौके पर जाकर देखा, तो उन्होंने पाया कि ठेकों के अंदर कुछ कर्मचारी मौजूद थे, जबकि शटर नीचे लगा हुआ था। इस हालात को देखते हुए, उन्होंने पुलिस को तात्कालिक रूप से बुलाया और शटर को खुलवाया। इसके बाद शराब बेचने वालों को सख्त चेतावनी दी गई।

सिख नेता गुरप्रीत सिंह खालसा ने बताया कि कुछ समय पहले, सिख संगठनों ने शहीदी दिवस के अवसर पर शराब की बिक्री को रोकने के लिए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में इस बात पर जोर दिया गया था कि धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की बिक्री न हो। लेकिन जब संगठनों को यह पता चला कि बंद दुकानों के अंदर शराब बेची जा रही है, तो उन्होंने रात के समय इस मामले की जांच करने का निश्चय किया। स्थानीय दुकानों का निरीक्षण करते समय, एक दुकान में शटर बंद होने और खिड़की के जरिए शराब बिक्री किए जाने का संदेह जताया गया।

इस घटनाक्रम को लेकर श्री माछीवाड़ा साहिब के थाना प्रभारी पवित्र सिंह ने कहा कि सूचना मिलते ही वे तुरंत मौके पर पहुंचे थे। हालांकि, उनकी जांच में शराब बेचने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला। उन्होंने बताया कि दुकान के कर्मचारी अक्सर रात्रि के समय अंदर ही सोते रहते हैं और उन्हें दुकान से बाहर निकाल दिया गया। थाना प्रभारी ने आश्वासन दिया कि पुलिस पूरी तरह से सतर्क है और किसी भी परिस्थिति में धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं होने दिया जाएगा।

यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि सिख संगठनों और स्थानीय प्रशासन के बीच सहयोग की आवश्यकता है ताकि धार्मिक स्थलों के आसपास शराब की बिक्री जैसे संवेदनशील मुद्दों को सही ढंग से संभाला जा सके। सिख संगठनों का तात्कालिक विरोध बताता है कि समुदाय अपने धार्मिक स्थलों के महत्व को लेकर बेहद सजग है। इस प्रकार की घटनाएं सामाजिक एकता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता की आवश्यकता को उजागर करती हैं, खासकर ऐसे स्थानों पर जहां श्रद्धालु नियमित रूप से आते हैं।

आखिरकार, शहीदी सभा जैसे आयोजनों की पवित्रता को बनाए रखना सिर्फ एक समुदाय की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को इस दिशा में प्रयास करना होगा ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों। स्थानीय प्रशासन और समुदाय के बीच बेहतर संवाद और सहयोग से ही इस प्रकार की समस्याओं का सामाधान किया जा सकता है।

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