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शहीद को बेटी का सैल्यूट-मुखाग्नि दी, दौसा के जवान का पार्थिव शरीर देखकर बिलख पड़ी पत्नी

शहीद को बेटी का सैल्यूट-मुखाग्नि दी, दौसा के जवान का पार्थिव शरीर देखकर बिलख पड़ी पत्नी

जयपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। प्रदेश में शुक्रवार को दो शहीदों का सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। मुंबई (महाराष्ट्र) बोट हादसे में शहीद हुए जयपुर के मार्कोस कमांडो (नेवी) महेंद्र सिंह शेखावत (34) को उनकी मासूम बेटियों ने अंतिम विदाई दी। जयपुर में रेनवाल के जूनसिया गांव में नाै साल की बेटी हर्षिता ने शहीद महेंद्र सिंह को मुखाग्नि दी। वहीं, पांच साल की छोटी बेटी युगांतिका ने पिता की पार्थिव देह को पहले प्रणाम किया, फिर सैल्यूट किया।

बीकानेर में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में प्रैक्टिस के दौरान ब्लास्ट में शहीद हुए गनर जितेंद्र सिंह (38) का भी शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया। दौसा में पैतृक गांव गाजीपुर में जवान जितेंद्र सिंह को उनके 14 साल के बेटे दीपू ने मुखाग्नि दी। इससे पहले, जवान के अंतिम दर्शन करते समय उनकी पत्नी रेखा बिलख पड़ीं। बीकानेर में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के नॉर्थ कैंप में बुधवार को प्रैक्टिस के दौरान ब्लास्ट​​ हो गया था। इसमें दौसा में महवा के गाजीपुर गांव के गनर जितेंद्र सिंह शहीद हो गए थे। महवा से गाजीपुर गांव तक सैन्य वाहन में शहीद की आठ किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। लोगों ने फूल बरसाकर शहीद जितेंद्र अमर रहें और भारत माता के नारे लगाए। जब जितेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा उनकी पत्नी रेखा के सामने पहुंचा तो वे अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं। उन्होंने पति को पहले माला अर्पित की, फिर सैल्यूट कर नारे लगाए और रोने लगीं। उन्होंने कहा कि मैं भी साथ जाऊंगी। मुझे इनके साथ जाने दो। यह देख माहौल गमगीन हो गया। पत्नी, बेटे और बेटी के आंसू देखकर वहां मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गईं। सेना के जवानों ने उनके बेटे दीपू को तिरंगा सौंपा। सेना और आरएसी के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। दोपहर करीब दाे बजे जितेंद्र सिंह के खेत में सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

जितेंद्र की शादी 2005 में खानखेड़ा गांव निवासी रेखा से हुई थी। साल 2007 में उन्होंने आर्मी जॉइन की थी। जितेंद्र के तीन भाई हैं। उनके भाई विजेंद्र सिंह खेती करते हैं, नरेंद्र सिंह रिटायर्ड कर्मचारी हैं और देवेंद्र सिंह पढ़ाई कर रहे हैं। जितेंद्र सिंह सेना की 46 आर्म्ड रेजिमेंट में रत्नूचक (जम्मू-कश्मीर) में तैनात थे। वे पत्नी रेखा और दोनों बच्चों के साथ जम्मू में ही रह रहे थे। उनके पिता और अन्य परिजन पैतृक गांव गाजीपुर में रहते हैं। शहीद के परिजनाें ने बताया कि जितेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर से तीन हफ्ते की ट्रेनिंग पर वह महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आए हुए थे। ट्रेनिंग पूरी होने से दाे घंटे पहले हुए हादसे में उनकी शहादत हो गई। बुधवार सुबह ही उन्होंने पत्नी रेखा को फोन पर बताया था कि वह जल्द ही ड्यूटी पर कश्मीर लौट जाएगा। परिजनों ने गांव की सरकारी स्कूल का नामकरण शहीद जितेंद्र सिंह के नाम पर करने और स्मारक बनाने की मांग की है। इसे लेकर महवा विधायक राजेंद्र मीणा ने कहा है कि स्कूल का नामकरण करवाने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखूंगा। साथ ही स्मारक निर्माण के लिए भी 5 लाख रुपए की राशि दी जाएगी।

दूसरी तरफ, मुंबई बोट हादसे में शहीद हुए जवान महेंद्र सिंह शेखावत की एक किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। मुंबई में बुधवार को गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा जाते समय नीलकमल बोट से नेवी का जहाज टकरा गया था। टक्कर के बाद बोट समुद्र में डूब गई। हादसे में जयपुर में रेनवाल के जूनसिया गांव के महेंद्र सिंह शेखावत शहीद हो गए थे। महेंद्र नेवी में मार्कोस कमांडो थे और पेटी ऑफिसर के पद पर तैनात थे। शुक्रवार सुबह शहीद महेंद्र की पार्थिव देह जयपुर से चौमूं होते हुए पैतृक गांव जूनसिया पहुंची। इटावा मोड़ से जूनसिया गांव तक एक किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में लोगों ने शहीद महेंद्र सिंह अमर रहें के नारे लगाए। लोगों ने शहीद की पार्थिव देह पर फूल बरसाए। सैन्य सम्मान के साथ महेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। उनकी नौ साल की बेटी हर्षिता ने उन्हें मुखाग्नि दी।

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