News Chetna

सच की ताजगी, आपकी अपेक्षा

Punjab

बरनाला डीसी कार्यालय पर भूख हड़ताल: किसानों के 25 दिन अनशन, सरकार से नाराजगी बढ़ी!

बरनाला में भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के किसानों ने जिला कमिश्नर कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल शुरू की है। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार के प्रति रोष व्यक्त करना है, खासकर खनौरी बॉर्डर पर चल रही भूख हड़ताल में बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का समर्थन करना है। इस हड़ताल का आयोजन किसान नेताओं बब्बू पंधेर, सुखविंदर कलकत्ता और सुखदेव सिंह के नेतृत्व में किया जा रहा है। किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह भूख हड़ताल भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) द्वारा शुरू की गई एक देशव्यापी मुहिम है, जिसमें आज बरनाला में सुबह से शाम 5 बजे तक किसान बैठे हुए हैं।

किसान नेता बब्बू पंधेर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 25 दिनों से किसानों की मांगों के समर्थन में भूख हड़ताल पर हैं। हालांकि, उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों की समस्याओं की अनदेखी कर रही है और उनके द्वारा किए गए वादों को पूरा करने से भी भाग रही है। पंधेर ने बताया कि डल्लेवाल और उनके साथी पिछले 10 महीनों से किसानों की मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं, लेकिन अब तक सरकार ने उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकाला है।

किसानों ने यह भी बताया कि पहले सरकार किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉली ले जाने पर आपत्ति जता रही थी, लेकिन अब जब किसान दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं तो उन पर अत्याचार हो रहा है। इस संदर्भ में सुखविंदर कलकत्ता ने कहा कि किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है, जो कि एक लोकतांत्रिक देश में अस्वीकार्य है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों के प्रति सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए और उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

सुखदेव सिंह ने कहा कि यह भूख हड़ताल न केवल बरनाला में बल्कि पूरे देश में किसानों की एकता का प्रतीक है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वे किसानों की मांगों पर ध्यान दें और उनके अधिकारों का सम्मान करें। इस प्रकार के आंदोलनों से यह स्पष्ट होता है कि किसानों का संघर्ष जारी रहेगा, जब तक कि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता।

इस भूख हड़ताल के मद्देनज़र, किसानों ने सभी वर्गों से समर्थन प्राप्त किया है और यह प्रदर्शित किया है कि उनके आंदोलन में एकजुटता और दृढ़ता बनी हुई है। किसान नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे और आशा करते हैं कि सरकार उनकी बातों को सुनेगी और उचित कदम उठाएगी।

Leave a Reply