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विश्वभर से आए साधकों ने योग और ध्यान की गहराईयों में लगाई डुबकी, विश्व शांति के मंत्रों के साथ ऋषिकेश योग महोत्सव का समापन

विश्वभर से आए साधकों ने योग और ध्यान की गहराईयों में लगाई डुबकी, विश्व शांति के मंत्रों के साथ ऋषिकेश योग महोत्सव का समापन

– परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव में योग, ध्यान और साधना का अद्भुत संगम ऋषिकेश, 16 दिसंबर (हि.स.)। परमार्थ निकेतन आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय ऋषिकेश योग महोत्सव का समापन सोमवार को गंगा आरती के साथ हुआ। इस अवसर पर देश-विदेश से आए योग साधकों और योगाचार्यों ने विश्व शांति मंत्रों के साथ महोत्सव का समापन किया। महोत्सव का उद्देश्य योग की प्राचीन परंपराओं को पुनः जागृत करना और योग प्रेमियों को योग, ध्यान और साधना की गहरी समझ प्रदान करना था।तीन दिन तक चले इस महोत्सव में 20 से अधिक देशों से आए करीब 200 से ज्यादा योग साधकों ने योग और ध्यान की विभिन्न विधाओं को आत्मसात किया। इन साधकों ने विभिन्न योग शैलियों का अभ्यास किया, प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन किया, गंगा जी की आरती में भाग लिया और विशेष यज्ञों में सम्मिलित हुए।महोत्सव के दौरान योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती और योगाचार्य गंगा नन्दिनी ने प्रारंभिक योग सत्र का संचालन किया। इस सत्र में योग के मूल सिद्धांतों और आसनों से सभी को परिचित कराया गया। इसके अलावा अन्य योगाचार्यों और विशेषज्ञों ने अलग-अलग योग विधाओं पर ध्यान केंद्रित किया।योगाचार्य राजू बत्रा ने आयंगर योग की विधा पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें आसनों की सही तकनीक को समझाया गया। श्री विवेक आर्य ने श्वास विज्ञान के बारे में जानकारी दी और श्वास नियंत्रण के महत्व को बताया, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। श्री अमित पायल ने रीढ़ की हड्डी की स्थिति और संरेखण पर व्याख्यान दिया।चेतन महेश ने कुंडलिनी योग के बारे में बताया, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देता है। विष्णु पाणिग्रही ने मेडिटेशन और योग निद्रा पर सत्र आयोजित किए, जो गहरी शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। दीपक प्रजापति ने साउंड हीलिंग के माध्यम से ऊर्जा संतुलन की प्रक्रिया को समझाया, जो शरीर और मन को शांति प्रदान करने में मदद करता है।साथ ही सचिन बडोनी ने अष्टांग विन्यास योग, आचार्य विनय ने कुंडलिनी योग, योगाचार्य गुरूमीत सिंह ने हठ योग और स्वामी नित्यानंद ने क्रिया योग के लाभों पर प्रशिक्षण दिया। योगाचार्य आशीष रावत ने विन्यास फ्लो योग, श्री संजय हॉल, स्टीव और साने ने साउंड हीलिंग के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करने के तरीके बताए।रवि बिष्ट ने हठ योग पर विशेष प्रशिक्षण दिया और देवेंद्र रतन ने ज्योतिष के माध्यम से जीवन के उद्देश्य को समझाने की कोशिश की। योगाचार्य गायत्री गुप्ता ने योग दर्शन और वेदांत पर अपने विचार साझा किए, जिससे साधकों को योग के आध्यात्मिक पहलुओं को समझने का अवसर मिला। योगाचार्य पूजा मेहता ने चक्र धारणा के माध्यम से मानसिक शांति साधने का प्रशिक्षण दिया। महोत्सव के अंतिम दिन परमार्थ निकेतन आश्रम में गंगा तट पर गंगा आरती का आयोजन किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागियों और योगाचार्यों ने मिलकर हिस्सा लिया और विश्व शांति के मंत्रों के साथ महोत्सव का समापन किया।इस महोत्सव के अंतर्गत ऋषिकेश के विभिन्न योग स्कूलों, विद्यालयों और कार्यशालाओं को उनके योगदान के लिए ‘नटराज पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। योग नगरी ऋषिकेश के समर्पित योग शिक्षकों और संस्थाओं के कार्यों की सराहना करते हुए साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग नगरी ऋषिकेश को योग की आध्यात्मिक नगरी बनाने में सभी संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

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