जेल से बनी बर्फी और दीये खरीदने उमड़े लुधियाना के लोग, दिवाली पर सेल लगी!
पंजाब के लुधियाना में इस बार दिवाली के अवसर पर एक अनोखी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जहां पर जेल में बंद कैदियों द्वारा बनाई गई मिठाइयों और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया है। ताजपुर रोड पर आयोजित इस आयोजन में कैदियों ने न केवल मिठाई की बिक्री की, बल्कि अन्य घरेलू उत्पादों का भी प्रदर्शन किया। इस पहल का मकसद न केवल कैदियों के कौशल को उजागर करना है, बल्कि उन्हें समाज में पुनः स्थायित्व प्रदान करना भी है। प्रदर्शनी में विशेष रूप से ‘जेल की बर्फी’ जैसे स्वादिष्ट व्यंजन स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
केंद्रीय जेल के अधीक्षक शिवराज सिंह नंदगढ़ ने बताया कि इस प्रदर्शनी में कैदियों द्वारा बनायी गई वस्तुओं की एक विस्तृत रेंज थी, जिसमें ‘बेसन की बर्फी’, मोमबत्तियां और गर्म कंबल शामिल थे। महिला कैदियों ने भी अद्भुत सृजनात्मकता का परिचय देते हुए दीये और सजावटी वस्त्र तैयार किए। इसके साथ ही, जेल में आयोजित नियमित प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से कैदियों को शिल्प कौशल सिखाया जा रहा है, जिससे वे समाज में अपने पैरों पर खड़े हो सकें।
प्रदर्शनी का उद्देश्य था कि स्थानीय लोग इस बात का अनुभव करें कि कैदियों ने किस तरह से मेहनत करके अपने लिए और समाज के लिए उपयोगी वस्तुएं तैयार की हैं। नंदगढ़ ने बताया कि कैदियों को विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चा माल मुहैया कराया जाता है, और उनके द्वारा तैयार उत्पादों को विशेष रूप से सरकारी विभागों में सप्लाई किया जाता है। इसके साथ ही, वे कस्टम ऑर्डर भी स्वीकार करते हैं, जो इस पहल को और भी मजबूत बनाता है।
इस प्रकार के कौशल विकास कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य कैदियों के मानसिक और सामाजिक पुनर्वास में मदद करना है। नंदगढ़ ने आशा व्यक्त की कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों का ध्यान आकृष्ट होगा और वे कैदियों के कठिनाई भरे जीवन को समझ पाएंगे। इस पहल का सकारात्मक प्रभाव कैदियों के जीवन पर पड़ने की संभावना है, जिससे उन्हें पुनः समाज में शामिल होने का एक सुनहरा मौका मिलेगा।
कुल मिलाकर, यह प्रदर्शनी न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह समाज के प्रति कैदियों की जिम्मेदारी और मेहनत की भी पहचान कराती है। इस प्रकार के आयोजन से यह संदेश भी मिलता है कि स्त्री-पुरुष दोनों के लिए कौशल विकास बेहद महत्वपूर्ण है और यह उन्हें न केवल खुद के लिए, बल्कि समाज के लिए भी उपयोगी बनाता है। इस पहल के जरिए उम्मीद की जा रही है कि कैदी अपनी गलतियों से सीख लेते हुए नई दिशा की ओर अग्रसर होंगे।