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बरनाला में किसान आक्रोश: धान खरीद ना होने पर सरकार को जमकर कोसा!

पंजाब में धान की खरीद को लेकर किसानों का प्रदर्शन तेज़ी से जारी है। बरनाला जिले के कुतबा गांव में फसल खरीद में हो रही खामियों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपुर के नेतृत्व में किसानों ने आंदोलन किया। इस दौरान किसानों ने केंद्र और पंजाब सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। किसान नेता जैसे बलविंदर सिंह बिंदू, दर्शन सिंह संधू, हरनेक सिंह कुटबा, जगजीत सिंह जग्गी गंगोहर और महेंदर सिंह पंडोरी ने बताया कि कई दिनों से दाना मंडी में उनकी धान की फसल की खरीद नहीं हो रही। इसके अलावा, जो फसल खरीदी गई है, उसकी लिफ्टिंग में भी देरी हो रही है, जिससे किसानों की फसलें खराब हो रही हैं।

किसानों ने बताया कि धान की खरीद में काफी सुस्ती दिखाई दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अनाज मंडी कुतबा में नमी अधिक होने के कारण उनकी फसल की खरीद नहीं हो पा रही है। इससे परेशान होकर किसान लगातार कई दिनों से मंडियों के बाहर बैठे हैं। किसानों का यह भी मानना है कि यदि लिफ्टिंग की प्रक्रिया को पहले से ही सुगम बनाया जाए, तो उनकी फसल को समय पर खरीदा जा सकता है। किसान नेताओं ने मार्केट कमेटी के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे तत्काल ही स्थिति की जानकारी लेकर किसानों की फसल को खरीदने और उठाने की प्रक्रिया को संपन्न करें।

वहीं, इस मामले में खरीद एजेंसी के इंस्पेक्टर हरदीप सिंह और मार्केट कमेटी सुपरवाइजर राजदीप सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार और मार्केटिंग बोर्ड के निर्देशानुसार, मंडियों में केवल 17 प्रतिशत नमी वाला धान खरीदा जा रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे अपनी धान की फसल को सूखा कर मंडियों में लाएं, ताकि उन्हें अच्छा मूल्य मिल सके। उनका यह मानना है कि अधिक नमी वाले धान को खरीदने में समस्याएं आती हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

किसान नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि धान के सीजन के दौरान खरीद केंद्रों पर फसल की त्वरित खरीद और लिफ्टिंग के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि धान की खरीद में सुधार नहीं किया गया, तो वे आगे और सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे। किसानों की यह ताकतवर आवाज न केवल उनकी फसल के लिए, बल्कि उनके अधिकारों के लिए भी एक निर्णायक मोड़ है।

अंत में, इस आंदोलन ने एक बार फिर से कृषि क्षेत्र में चल रही समस्याओं को उजागर किया है। किसानों का कहना है कि सरकार को जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि उन्हें अपनी मेहनत का उचित फल मिल सके और उनकी फसलें बेकार न हों।

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