मिशन वात्सल्य से बच्चों की सुरक्षा, कल्याण और सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सकेगा: डॉ त्रिपाठी
मिशन वात्सल्य से बच्चों की सुरक्षा, कल्याण और सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सकेगा: डॉ त्रिपाठी
जयपुर, 30 सितंबर (हि.स.)। बाल संरक्षण केंद्र, सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर राज्य और जिला स्तर के हितधारकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को केंद्रीय जासूसी प्रशिक्षण संस्थान जयपुर में हुआ। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रमुख हितधारकों के बीच समन्वय और जवाबदेही को बढ़ाना है ताकि मिशन वात्सल्य योजना का समग्र कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके।
मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर राज्य और जिला स्तर के हितधारकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति, सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा और दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय जोधपुर डॉ. आलोक त्रिपाठी आईपीएस द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि मिशन वात्सल्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा, कल्याण और सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना है। उन्होंने इस योजना के तहत पारिवारिक आधारित गैर-संस्थागत देखभाल के महत्व को रेखांकित किया, ताकि कठिन परिस्थितियों में बच्चों को सहारा मिल सके और उनका संस्थागतकरण अंतिम उपाय के रूप में अपनाया जाए।
डॉ. त्रिपाठी ने यह भी कहा कि इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बहु-हितधारकों के बीच समन्वय और जिम्मेदारी का बोध होना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही, उन्होंने बच्चों की सुरक्षा और विकास के लिए एक मजबूत और संवेदनशील तंत्र स्थापित करने पर जोर दिया, जिसमें सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी हो।
कार्यशाला के गेस्ट ऑफ़ ऑनर डायरेक्टर सीडीटीआई डॉ अमनदीप सिंह कपूर आईपीएस ने अपने उद्बोधन में क्षमता निर्माण और कन्वर्जेंस पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों के बीच एकीकृत और समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। क्षमता निर्माण के माध्यम से सभी हितधारकों को न केवल मिशन वात्सल्य के उद्देश्यों को समझना चाहिए, बल्कि उन्हें इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जरूरी कौशल और ज्ञान से भी सुसज्जित होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कन्वर्जेंस यानी विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच सामंजस्य और सहयोग, बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ कपूर ने इस पहल के लिए पुलिस विश्वविद्यालय एवं बाल संरक्षण केंद्र का आभार व्यक्त किया।
इसमे लगभग 170 प्रतिभागियों बाल कल्याण समितियां, जिला बाल संरक्षण इकाइयां, पुलिस और एएचटीयू, उप-मंडल मजिस्ट्रेट व सहायक जिला मजिस्ट्रेट, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल देखभाल संस्थान, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग, राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, श्रम विभाग, नगर निगम, महिला और बाल विकास विभाग, प्रोजेक्ट पार्टनर आर्गेनाइजेशन ने सक्रिय रूप से भाग लिया। बाल संरक्षण केंद्र, सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय, पिछले 9 सालों से लगातार इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है।
कार्यशाला के दौरान, राज्य और जिला स्तर के बाल कल्याण समितियों, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और योजना के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधानों पर विषय-विशेषज्ञ अनंत कुमार अस्थाना और कृना शाह के समक्ष रखा और विषय विशेषज्ञों ने उनके समाधान के लिए अपने अनुभवों को साझा किया।
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