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ये बेटियां दिखा रहीं भारत में महिला सशक्तिकरण

ये बेटियां दिखा रहीं भारत में महिला सशक्तिकरण

डॉ. प्रभात ओझा

अपने देश में खेल के क्षेत्र में राजनीति, भारतीय कुश्ती संघ का हालिया विवाद और पेरिस ओलम्पिक में स्वर्ण पदक से वंचित रहने के सच के बीच पेरिस से ही हमारे लिए उत्साहजनक खबर आई है। खास बात है कि इस शुरुआती उत्साह में बेटियों का महत्वपूर्ण योगदान है। पेरिस में चल रहे पैरालंपिक में भारतीय शूटर अवनी लखेरा ने गोल्ड मेडल और शूटर मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारतीय टीम के अन्य खिलाड़ियों को भी आशाओं से लबरेज किया है। इसके पूर्व टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने कुल 19 मेडल जीते थे। इनमें 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज शामिल थे। इस बार बेहतर शुरुआत हुई है और उम्मीद है कि हमारे एथलीट्स अपने प्रदर्शन को और बेहतर करेंगे।

जिस उत्साहजनक शुरुआत की हम बात कर रहे हैं, वह 28 अगस्त से 8 सितंबर के मध्य आयोजित हो रहे पैरालंपिक में 30 सितंबर तक हमारे चार एथलीट्स के पदक जीतने से हुई है। इन चार में से तीन महिला खिलाड़ी हैं। पेरिस पैरालंपिक में 10 मीटर एयर रायफल शूटिंग में अवनी लखेरा ने गोल्ड मेडल और मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीत कर भारत को खुशियां दिलाईं। अवनी ने तो पैरालिंपिक का नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया और अपने ही बनाए रिकॉर्ड 249.6 के मुकाबले इस बार 249.7 के स्कोर के साथ गोल्ड जीता है।

यहां याद दिलाना आवश्यक है कि इस तरह लगातार दो पैरालंपिक में स्वर्ण हासिल करने वाली अवनी लखेरा प्रथम महिला खिलाड़ी बन गई हैं। इस बार भारत को पदक दिलाने वाली तीसरी महिला खिलाड़ी प्रीति पाल हैं, जिन्होंने महिलाओं की 100 मीटर टी-35 कैटेगरी रेस में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता है। इन तीन होनहार महिला खिलाड़ियों के साथ भारत को चौथा पदक दिलाने वाले मनीष नरवाल हैं। मनीष ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग में सिल्वर मेडल जीतने के साथ भारत की झोली को वजनी बनाने की शुरुआत की है। इस बार पैरालंपिक में शामिल होने कुल 84 भारतीय एथलीट्स पेरिस गए हैं। यह पैरालंपिक में हिस्सा लेने वाला भारत का सबसे बड़ा दल है। ये खिलाड़ी 12 खेलों में हिस्सा लेंगे।

पेरिस पैरालंपिक खेल 2024 में दुनिया भर के चार हजार से अधिक एथलीट शामिल हो रहे हैं, जो 549 पदक जीतने के लिए स्पर्धा करेंगे। इसी स्थान पर अभी सम्पन्न ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन आशा के अनुकूल नहीं रहा। वहां से हम मात्र छह पदकों के साथ स्वदेश लौटे। यह पिछले टोक्यो ओलंपिक 2020 से भी एक पदक कम रहा। राजस्थान की मूल निवासी अवनी लखेरा, इसी राज्य की मोना अग्रवाल और उत्तर प्रदेश की प्रीति पाल, इन तीन बेटियों और हरियाणा के मनीष नरवाल ने पेरिस पैरालंपिक में उत्साहजनक उपलब्धि हासिल की है।

भारत 140 करोड़ की आबादी वाला विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। पहले हमने कुछ खेलों में एकाधिकार-सा कर लिया था। हॉकी भी उन्हीं में से एक है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के कारण हमारी हॉकी दुनिया भर में चर्चित रही। ओलंपिक में भारत ने आठ बार स्वर्ण, एक बार रजत पदक और तीन बार कांस्य पदक जीते हैं। 1980 के बाद भारत इस खेल में भी स्वर्ण पदक से वंचित है। पिछले 2020 के टोक्यो ओलंपिक और 2024 के पेरिस ओलम्पिक में हमने कांस्य पदक जरूर जीता। इससे भारत की आशाएं फिर से जगी हैं।

बहरहाल, बात पेरिस पैरालंपिक 2024 की। इसमें तीसरे दिन शुक्रवार तक भारत ने चार पदक अपने नाम कर लिए। इन चार पदक जीतने वालों में तीन बेटियां हैं।वैसे भी भारत में शुक्रवार देवी मां का दिन माना गया है। विशेष शारीरिक क्षमता वाली बेटियों की ये उपलब्धियां हमारे यहां महिला शक्तिकरण का ही उदाहरण कही जाएंगी।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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