संस्कृत गीत का गायन कर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
इस अवसर पर शिक्षाशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अरविन्द नारायण मिश्र ने कहा कि संस्कृत भारत की पहचान है और उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा भी है। इसीलिए छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर एवं समाज में जाकर संस्कृत भाषा में वार्तालाप करना चाहिए और अन्य लोगों को भी संस्कृत भाषा में वार्तालाप करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
कार्यक्रम का संयोजन कर रहे डा. सुमन प्रसाद भट्ट ने कहा कि संस्कृत प्राचीन भाषा के साथ–साथ आधुनिक भाषा भी है। नवीन शब्दों को गढ़ने का जितना सामर्थ्य संस्कृत भाषा में है उतना सामर्थ्य विश्व की किसी अन्य भाषा में नहीं है। संस्कृत भाषा अभिव्यक्ति का साधन एवं मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी भी है। संस्कृत भाषा के विकास में सबको योगदना देना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम में आयुष रतूड़ी,गौरव कोठारी,नितिन कुमार,गौतम ने संस्कृत के गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में शिक्षा शास्त्र विभाग श्रीमती मीनाक्षी सिंह रावत,अमिता सेमवाल, अंशिका, रोहन बहुखंडी, नितिन, आशीष जगूड़ी, गौतम भट्ट आदि उपस्थित रहे।