पलवल : आनन्दशाला में शिक्षा नेतृत्व और प्रशासन पर मंथन, भारतीय जीवन मूल्यों के समावेश पर जोर
मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानन्द ने कहा कि भारत में विश्व को जोड़ने की क्षमता है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र को मजबूत किए बिना यह संभव नहीं है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा और मूल्यों को जीवन में उतारने की आवश्यकता बताई।
विशिष्ट अतिथि नैक के चेयरमैन प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने शिक्षा में भारतीय जीवन मूल्यों के समावेश को आवश्यक बताते हुए मैकाले मॉडल को समाप्त कर भारतीय ज्ञान पद्धति अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि शिक्षा और प्रशासनिक नेतृत्व में भारतीयता का समावेश समय की मांग है। उन्होंने कहा कि आनन्दशाला की संस्तुतियां विश्वविद्यालयों के वातावरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगी।
प्रख्यात वक्ता मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्य अधिकारी डॉ. राज नेहरू ने नेतृत्व में सर्वधर्म की समझ को सबसे बड़ा गुण बताया। प्रो. राजेंद्र अनायत ने प्रशासनिक नेतृत्व और भारतीयता के दार्शनिक पहलुओं पर अपने विचार रखे। आनन्दशाला में तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रो. ज्योति राणा और डॉ. तेजेंद्र शर्मा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कई विश्वविद्यालयों के कुलगुरु, कुलसचिव, अधिष्ठाता, शिक्षाविद और अकादमिक अधिकारी मौजूद रहे।