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Jharkhand

एनडीएमए टीम ने आपदा प्रबंधन की तैयारियों का किया आंकलन

बैठक में डॉ वसीम ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के कार्यों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) को लेकर से विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। जिलों को आपदा तैयारी और रिस्पॉन्स सिस्टम मजबूत करने, राज्य एवं जिला आपदा प्रबंधन योजनाओं (एसडीएमपी/डीडीएमपीएस) की समीक्षा तथा अद्यतन से संबंधित दिशा-निर्देश दिया गया।

प्रशिक्षण और सहभागिता पर दिया गया बल

बैठक में जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की तैयारियों का आंकलन किया गया। साथ ही कई बिंदुओं पर विशेष चर्चा की गई। अर्ली वार्निंग एवं अर्ली एक्शन प्लान की स्थिति, अंतर-विभागीय समन्वय (आर्म्ड फोर्सेज सीएपीएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ) एवं सिविल-मिलिट्री कॉन्फ्रेंस, एसआईओसी/जिला आईओसी की संरचना और कार्यप्रणाली एवं कम्युनिटी वॉलंटियर्स (आपदा मित्र, आपदा सखी, दिदी) का प्रशिक्षण तथा सहभागिता पर विशेष बल दिया गया।

बैठक में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की संरचना की जानकारी दी गई। साथ ही हाथियों का प्रकोप, स्नेक बाइट, हीट वेव, लाइटनिंग, अग्निकांड, भारी वर्षा एवं बिजली से संबंधित घटनाओं से निपटने की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।

मॉक ड्रिल ट्रेनिंग पर बल देते हुए कहा गया कि राज्य स्तर पर मल्टी-हैजर्ड एक्सरसाइज ओर सीबीआरएन (केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर) ड्रिल्स आयोजित की जा सकती है। क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे एविएशन, रेलवे, सी-पोर्ट, पावर सेक्टर, रिफाइनरी और न्यूक्लियर फैसिलिटी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। धार्मिक आयोजनों के दौरान भी मॉक एक्सरसाइज को आवश्यक बताया गया। इन अभ्यासों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आर्म्ड फोर्सेज, पुलिस फोर्सेज, अलर्ट जनरेटिंग एजेंसीज एवं विभिन्न विभागों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।

‘सचेत ऐप’ की दी गई जानकारी

बैठक में आपदा प्रबंधन के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा गया कि आपदा प्रबंधन केवल राहत और बचाव तक सीमित न रहकर जोखिम न्यूनीकरण, सामुदायिक सहभागिता एवं तकनीकी उपयोग पर आधारित होना चाहिए। साथ ही ‘सचेत ऐप’ की जानकारी दी गई एवं इसके व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया।

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