हिमाचल में 20 अगस्त तक भारी वर्षा का अलर्ट, बादल फटने और बाढ़ से तबाही, 395 सड़कें बंद, कई इलाकों में ब्लैकआउट
बीती रात हुई जोरदार बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने प्रदेश के कई जिलों में तबाही मचाई। शिमला, कुल्लू, किन्नौर और लाहौल-स्पीति में बाढ़ और भूस्खलन से पुल, मकान, दुकानें और गाड़ियां बह गईं। कई गांव खाली करवाए गए और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
भारी बारिश के चलते ऊना जिले में सभी शिक्षण संस्थान आज बंद रखे गए हैं। इसी तरह कुल्लू जिले के बंजार, मंडी के गोहर और शिमला के जुब्बल उपमंडल में भी स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है।
सबसे ज्यादा नुकसान शिमला और कुल्लू जिलों में हुआ है। शिमला जिले के रामपुर उपमंडल के पंद्रह-बीस क्षेत्र में बादल फटने से आई बाढ़ से चार पुल, दो मकान, पांच दुकानें, सात शेड और सेब के बगीचे बह गए। गानवी क्षेत्र में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। यहां एक एंबुलेंस और एचआरटीसी की बस फंस गई, जबकि तीन पंचायतों का संपर्क पूरी तरह कट गया। शिमला के कोटखाई क्षेत्र में भूस्खलन से पांच से सात गाड़ियां मलवे में दब गईं और एनएच-05 कई जगह अवरुद्ध हो गया।
कुल्लू जिले की बंजार घाटी में बठाहड़ क्षेत्र में बादल फटने से कई घरों को नुकसान हुआ, पुल टूट गए और पांच गाड़ियां बह गईं। चार कॉटेज भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। निरमंड उपमंडल में कुरपन खड्ड उफान पर है, जिससे बागीपुल बाजार खाली करवाना पड़ा। तीर्थन घाटी और आसपास के गांवों को भी खाली कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।
जनजातीय क्षेत्रों में भी भारी नुकसान हुआ है। किन्नौर जिले की ऋषि डोगरी घाटी और लाहौल-स्पीति की मयाड़ घाटी में बादल फटने से सार्वजनिक सम्पति को नुकसान हुआ है और कई घरों को खाली करना पड़ा। प्रशासन ने लाहौल-स्पीति के करपट गांव से करीब दो दर्जन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा है।
भारी बारिश से सड़कें और बिजली व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार गुरूवार सुबह तक प्रदेश में एक राष्ट्रीय राजमार्ग व 395 सड़कें बंद पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में 173 और कुल्लू में 70 सड़कें बंद हुई हैं। वहीं, पूरे प्रदेश में 1,593 ट्रांसफार्मर ठप हो जाने से कई इलाकों में अंधेरा छाया है। सिरमौर जिले में सबसे ज्यादा 659 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं। साथ ही 178 पेयजल योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं।
मौसम विभाग के अनुसार बीती रात से गुरुवार सुबह तक सोलन के कंडाघाट में सर्वाधिक 100 मिमी बारिश दर्ज हुई। इसके अलावा जतौन बैरेज में 87, ऊना में 85, शिमला में 69 और कुफरी में 66 मिमी बारिश रिकार्ड की गई।
अब तक इस मानसून सीजन में 241 लोगों की मौत हो चुकी है, 36 लापता हैं और 326 घायल हुए हैं। मरने वालों में सबसे ज्यादा 47 मंडी और 39 कांगड़ा जिले से हैं। अब तक 2,205 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 523 पूरी तरह ढह गए। 312 दुकानें और 2,043 पशुशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक प्रदेश को 2,031 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। केवल लोक निर्माण विभाग को 1,086 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 691 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है।