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कुत्तों के प्रति संजीदगी तो गाय के प्रति बेरुखी क्यों

संजय गुप्ता ने कहा कि जो गाय इंसान को अपना दूध पिलाती है, उसका पालन करती है तथा इसके गोबर और मूत्र से धरती माता पोषित होती है, उसके लिए आज कोई भी चिंतित दिखाई नहीं देता है। उन्होंने कहा कि यह सभी जानते हैं कि गाय का दूध कितना गुणकारी है। आयुर्वेद में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है।

पूजा में भी गाय का दूध आदि प्रयोग होता है। इसी के साथ गोमूत्र अनेक असाध्याय रोगों को ठीक करने में कारगर साबित हुआ है। माना यह भी जाता है के गौ माता के सींग पर ही पृथ्वी टिकी हुई है, किंतु देखने में आता है कि आज गाय को काटा जा रहा है। उनकी दुर्दशा हो रही है। क्या इसके लिए भी कानून में कोई प्रावधान है। जिससे गायों की हो रही दुर्दशा और उनके कत्ल को रोका जा सके।

कहा कि कुत्ता भौंकता है, कुत्ता संगठित है, कुत्ता गिरोह में रहता है, कुत्ता काटता है, तो सुप्रीम कोर्ट से लेकर अभिजात्य समाज सड़कों पर आ गया। जबकि गाय काटती नहीं। गाय चिल्लाती नहीं। संगठित नहीं है। गाय का कोई गिरोह नहीं है। दूध देकर मनुष्य का और गोबर-मूत्र से धरती का पोषण करती है। इसलिए कोर्ट और समाज की नजर में निरर्थक है।

उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों पर रोक लगाने पर समाज का एक बड़ा हिस्सा सड़कों पर उतरा आया, किंतु गाय की हो रही दुर्दशा पर किसी ने भी कोई चिंता आज तक व्यक्त नहीं की। केवल संत समाज ही यदा कदा गाय को लेकर चिंतित दिखाई पड़ता है।

उन्होंने कहा कि यदि हमें श्रेष्ठ भारत, स्वस्थ भारत बनाना है तो हमें हर हालत में गाय की रक्षा करनी होगी, क्योंकि जो गुण गाय के दूध,गोबर आदि में है वह अन्यत्र किसी जानवर में नहीं दिखाई देते, इसलिए गाय को लेकर भी हमें संजीदा होना पड़ेगा।

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