चम्पावत की महिलाओं का ईको ब्रिक्स नवाचार बना प्रेरणा
इस समिति की अध्यक्ष दीपा देवी के नेतृत्व में एक नवाचार ईको ब्रिक्स तकनीक सफलतापूर्वक अपनाई गई है। यह नवाचार केवल प्लास्टिक कचरे के पुनर्प्रयोग तक सीमित नहीं, बल्कि इससे ग्रामीण समाज में पर्यावरणीय चेतना, महिला भागीदारी और जन-जागरूकता को एक नया आयाम मिला है।
ईको ब्रिक्स दरअसल प्लास्टिक बोतलें होती हैं जिन्हें पॉलिथीन, चिप्स रैपर, टॉफी कवर आदि गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे से भरा जाता है। ये बोतलें इतनी सघन भरी जाती हैं कि वे मजबूत निर्माण ईकाइयों के रूप में कार्य कर सकें। एक बोतल में लगभग 300 से 350 ग्राम कचरा समा सकता है।
वर्तमान में चम्पावत के टीआरसी टनकपुर में इन ईको ब्रिक्स से सोफा चेयर निर्माण हो रहा है जो यह दर्शाता है कि यदि दृष्टिकोण सकारात्मक हो, तो अपशिष्ट भी समाज की आवश्यकता पूरी करने वाला संसाधन बन सकता है। इस पूरे अभियान में महिलाओं, युवाओं और स्थानीय निवासियों की सक्रिय भागीदारी ने इसे एक सामुदायिक आंदोलन का स्वरूप दिया है। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में इस नवाचार ने स्वच्छता, पर्यावरणीय शिक्षा और पुनर्चक्रण के विचार को मजबूती प्रदान की है।
हाल ही में समिति ने जिलाधिकारी मनीष कुमार से भेंट कर इस पहल की जानकारी दी। जिलाधिकारी ने समिति की ईको ब्रिक्स पहल की सराहना करते हुए इसे अन्य संस्थाओं के लिए प्रेरणा करार दिया और हरसंभव प्रशासनिक सहयोग का आश्वासन दिया। दीपा देवी कहती हैं,हमारा लक्ष्य केवल प्लास्टिक का निस्तारण नहीं, बल्कि एक ऐसी सोच विकसित करना है जिसमें हर नागरिक अपशिष्ट को भी उपयोगी मानने लगे। हम इस नवाचार को और अधिक गाँवों तक पहुँचाना चाहते हैं।
इस तकनीक ने एक हरित भविष्य की संभावना को जन्म दिया है जहाँ कचरे को पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए उपयोग किया जा सकता है। समिति की भावी योजनाओं में वंचित और मेधावी छात्रों की शैक्षिक सहायता,महिलाओं को अपशिष्ट प्रबंधन एवं स्वरोजगार से जोड़ना जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्य शामिल हैं। जिलाधिकारी का भी मानना है कि ऐसे नवाचार-प्रधान संगठन चम्पावत की पर्यावरणीय दिशा को नया स्वरूप देंगे और अन्य जिलों के लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं।