स्थानीय व बाहर से आई फिल्मों की दो कैटेगरी बनाई जाय: अशोक महर्षि
शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी व फिल्म अभिनेता अशोक श्रीवास्तव महर्षि ने कहा गोरखपुर में 1972 में बनी पहली भोजपुरी फिल्म गोरखनाथ बाबा तुहें खिचड़ी चढ़इबों में काम किया । जो दो सप्ताह फुल हाउस चला । इसके लेखक स्व दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव गोरखपुर के ही थे । उसके बाद करिश्मा किस्मत का के साथ ही अन्य कई फिल्मों का निर्माण गोरखपुर में हुआ । फिल्म क्षेत्र में गोरखपुर की भूमि बहुत ही उपजाऊ । धर्मेंद्र श्रीवास्तव, प्रदीप जायसवाल, देशबंधु पांडेय ने कहा गोरखपुर का फिल्म अत्यंत ही समृद्धशाली है यहां बहुत सारी ऐसी प्रतिभाएं हैं जो शॉर्ट फिल्म से लेकर बड़े फिल्मों तक अच्छा काम कर रही हैं । इस फेस्टिवल में एक नया रंग देखने को मिलेगा ।
मुरलीधर शर्मा, राकेश डेविड, संजय कुमार, अबैदुर्रहमान बाबू भाई ने कहा गोरखपुर में एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहां समस्त कलाकार इकट्ठा होकर फिल्मों पर चर्चा करें तथा गोरखपुर में अधिक से अधिक शार्ट फिल्मों का महोत्सव होना चाहिए ताकि लोगों के अंदर बेहतर करने का जुनून सवार हो ।
सुनील जायसवाल, रजत सराफ, डॉ रशीद, राहुल गोंड़ ने कहा फिल्मसिटी एक चहार दिवारी मात्र नहीं होती जब तक उसमें समस्त संसाधन शूट के उपलब्ध न हो । अजीत प्रताप सिंह (बीएनए) गोरखपुर ने थिएटर में इतिहास रचा है फिल्मों में भी इस तरह की शक्रीय भूमिका सबकी होनी चाहिए । रचना धूलिया, अजय यादव, रामरक्षा, रामसमुझ सांवरा, सत्या सिंह, राजकुमार सिंह ने कहा जनवरी माह में ठंडक अपने चरम पर रहता है अगर इसे और पहले कर दिया जाए तो दर्शक भारी संख्या में जुटेंगे । इसके साथ-साथ कुछ एंट्री फीस भी रखा जाना चाहिए ।
इस बैठक में पंकज कुमार गुप्ता, चंद्रशेखर गुप्त, समर सिंह, राजशेखर, मुकेश विद्यार्थी, राकेश कुमार,विशाल कुमार, विजय कुमार, अमन, छत्रसाल यादव, रितेश कुमार श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव आदि सहित भारी संख्या में सिनेमा से जुड़े लोग उपस्थित रहे और अपने सकारात्मक विचार रखे । अंत में आए हुए सभी आगंतुकों के प्रति रंगकर्मी बेचन सिंह ने आभार प्रकट किया ।