दिव्या देशमुख ने कोनेरू हम्पी को हराकर जीता फिडे महिला शतरंज विश्व कप का खिताब
दूसरे गेम में काले मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने अनुभवी हम्पी की अंतिम गेम की गलतियों का फायदा उठाकर बढ़त हासिल की और अपने युवा करियर की सबसे बड़ी जीत हासिल की।
मैच के निर्णायक क्षण में जब मुकाबला भारी मोहरों के साथ ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, हम्पी ने मोहरों की बलि देकर मैच को आगे बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन दिव्या के दबाव में उनका यह दांव नाकाम रहा। दिव्या ने जल्द ही अपनी रानी और एक हाथी की अदला-बदली की, ताकि वह ऐसा एंडगेम बना सके जहाँ वह अपनी मोहरों और समय की बढ़त के दम पर बढ़त हासिल कर सकें और ऐसा ही हुआ।
निर्णायक क्षण तब आया, जब हम्पी ने 54वीं चाल में …Rxf4 खेला, जिससे दिव्या के लिए एक फाइल खुल गई और उनके प्यादे को प्रमोशन की ओर बढ़ने का रास्ता मिल गया। दिव्या ने 67वीं चाल f5 के साथ लगभग खेल पर अपनी पकड़ खो दी थी, जिससे हम्पी को मुकाबले में वापसी का मौका मिल सकता था। लेकिन समय के दबाव में हम्पी ने 67वीं चाल पर प्यादा बढ़ाने का गलत फैसला किया, जिससे उनका खेल वहीं समाप्त हो गया। 38 वर्षीय हम्पी ने 75वीं चाल के बाद हार स्वीकार कर ली।
यह टूर्नामेंट में किसी ग्रैंडमास्टर के खिलाफ दिव्या की लगातार चौथी जीत थी। इससे पहले उन्होंने चीन की झू जिनर को प्री-क्वार्टरफाइनल में, भारत की डी. हरिका को क्वार्टरफाइनल में और चीन की तान झोंगयी को सेमीफाइनल में हराया था। इस जीत के साथ दिव्या ने $50,000 (41.6 लाख रुपये) की पुरस्कार राशि भी अपने नाम की, जबकि हम्पी को $35,000 (29.1 लाख रुपये) मिले।