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निर्माणाधीन बारापूला ऐलिवेटेड परियोजना की जांच करेगी एसीबी : रेखा गुप्ता

बैठक में इस परियोजना को लेकर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की लापरवाही पर भी चर्चा हुई और विभिन्न कारणों से इस परियोजना में देरी होने पर चिंता जताई गई। मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उनका कहना है कि धनराशि का भुगतान इसलिए किया गया, क्योंकि पूर्व सरकार ने कंपनी को कार्य नहीं करने दिया था। परियोजना का यह ऐलिवेटेड रोड बारापूला नाले से शुरू होगा और सराय काले खां होते हुए मयूर विहार फेज-III तक पहुंचेगा। दिल्ली सचिवालय में इस उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह के अलावा संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि इस परियोजना शीघ्र ही गति पकड़ लेगी, क्योंकि परियोजना के मार्ग के आने वाले पेड़ों को हटाने का अनुमति जल्द मिलने वाली है। इसके बाद यह परियोजना समय पर पूरी हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस प्रोजेक्ट में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए। सरकार इस परियोजना के लिए बजट की कमी नहीं आने देगी। परियोजना के पूरा होने से दक्षिणी दिल्ली व पूर्वी दिल्ली के बीच ट्रैफिक का आवागमन सुचारू हो जाए।

बैठक में बाद मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि यह प्रोजेक्ट भी पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही का एक और उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना को अक्तूबर 2017 में पूरा हो जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह परियोजना पिछड़ती गई। मामला आब्रिट्रेशन (मध्यस्थता) में चला गया, जहां से ठेकेदार कंपनी के पक्ष में फैसला आया और उसे 120 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया गया। लेकिन जब कंपनी को यह राशि अदा नहीं की गई तो वह हाई कोर्ट में चली गई। मई 2023 में कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को ब्याज व जीएसटी समेत 175 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया। यह राशि कंपनी को अदा कर दी गई। उस दौरान आम आदमी पार्टी सरकार में आतिशी पीडब्ल्यूडी मंत्री थी।

मुख्यमंत्री के अनुसार पिछली सरकार के भ्रष्टाचार का आलम यह था कि उसने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर नहीं की और न ही अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। उस दौरान इस राशि को कंपनी को अदा करने के कारण पीडब्ल्यूडी की अन्य योजनाएं भी प्रभावित हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि कंपनी को यह राशि इसलिए दी गई, क्योंकि आम आदमी पार्टी सरकार ने उसे कार्य ही नहीं करने दिया।

मुख्यमंत्री के अनुसार जांच से यह भी पता चला है कि उस दौरान ठेकेदार कंपनी चाहती थी कि उसे 35 करोड़ रुपये ही मिल जाए तो वह विवाद को आगे नहीं बढ़ाएगी, लेकिन उसे यह राशि अदा नहीं की गई, जिसके बाद विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अनियमितता में पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के भी संलिप्त होने की संभावना हैं। सतर्कता जांच में उनके कार्यकलापों की भी जांच कराने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस जांच में परियोजना किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी और इसे तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा।

इस परियोजना को दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने सितंबर 2011 को स्वीकृति दी गई। परियोजना के कार्य के लिए 1260.63 करोड़ रुपये दिसंबर 2014 को आवंटित किए गए। परियोजना के कार्यों की शुरुआत अप्रैल 2015 से शुरू हुई, जिसे 30 महीनों के निर्धारित समय में पूरा होना था। मूल लागत 1260.63 करोड़ रुपये थी, अब तक 1238.68 करोड़ खर्च हो चुका है।

परियोजना की संभावित कुल लागत 1330 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। अब तक 87 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। अब पेड़ों को शीघ्र हटाने की अनुमति मिलने वाली है, जिसके बाद यह परियोजना गति पकड़ लेगी। वित्तीय वर्ष 2025-26 में 150 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं, जिसमें जून 2025 तक 86.43 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।

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