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उत्तराखंड पंचायत चुनाव में आरक्षण विवाद पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार

उत्तराखंड पंचायत चुनाव में आरक्षण विवाद पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार

नैनीताल, 25 जून (हि.स.)। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखते हुए 26 जून तक चुनाव प्रक्रिया पर स्थगन बनाए रखने का आदेश दिया है।मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और राज्य सरकार से महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण मांगा।

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था। 9 जून को जारी यह रूल्स 14 जून को गजट नोटिफाईड हो गया था, जबकि याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम व संविधान के अनुच्छेद 243 टी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है। यह संवैधानिक बाध्यता है। इस मामले में सरकार की ओर से यह भी तर्क रखा गया कि कुछ याचिकाकर्ताओं के कारण सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया को नहीं रोका जा सकता। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- कितनों सीटों में आरक्षण रोस्टर की पुनरावृत्ति हुई है, क्या यह पंचायत राज एक्ट व संविधान के अनुच्छेद 243 टी का उल्लंघन नहीं है।बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई साथ ही 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव के लिए लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया है जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है। जिस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि उनके वहां लंबे समय से सीट आरक्षित नहीं हुई है। जबकि आरक्षित श्रेणी के लोगों की जनसंख्या भी अनारक्षित के बराबर है। ऐसे में उनका प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। इसलिए दोबारा आरक्षण तय करना चाहिए।

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