कनीमोझी ने दिया राष्ट्रीय एकता का संदेश- अनेकता में एकता को बताया राष्ट्र की भाषा
कनीमोझी ने दिया राष्ट्रीय एकता का संदेश- अनेकता में एकता को बताया राष्ट्र की भाषा
नई दिल्ली, 3 जून (हि.स.)। ऑपरेशन सिंदूर के बाद वैश्विक जगत को आतंकवाद के खिलाफ भारतीय नीति से परिचित कराने गए सांसदों के एक दल का नेतृत्व कर रहीं कनीमोझी ने स्पेन में जो कहा उसकी चौतरफा सराहना हो रही है। स्पेन में भारतीय समुदाय के लोगों के साथ संवाद के दौरान उनसे पूछा गया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा कौन सी है। इस पर उन्होंने कहा कि ‘अनेकता में एकता’ ।
उल्लेखनीय है कि संसदीय दल का नेतृत्व कर रहीं कनीमोझी करुणानिधि द्रविण मुनेत्र कषगम की सांसद हैं। तमिलनाडु में यह पार्टी अपनी तमिल भाषा के लिए आंदोलन के चलते पहचानी जाती है। जब कभी भी भारत में भाषा विवाद होता है या फिर नेशनल लैंग्वेज या भारत की राष्ट्र भाषा का विषय शुरू होता है तो उसका पहला विरोध दक्षिण के राज्य तमिलनाडु से ही शुरू होता है। ऐसे में स्पेन में जब उनसे यही सवाल पूछा गया तो कनीमोझी ने राष्ट्रीय एकता का परिचय देते हुए बहुत सूझबूझ वाला और सधा हुआ जवाब दिया।
दरअसल भारतीय समुदाय से संवाद के दौरान के उनसे पूछा गया था कि ‘भारत की राष्ट्रीय भाषा कौन सी है।’ इस पर उन्होंने उत्तर दिया, “भारत की राष्ट्रीय भाषा ‘अनेकता में एकता’ है। यही संदेश यह प्रतिनिधिमंडल दुनिया को दे रहा है और आज यही सबसे ज़रूरी बात है।” उनके इस वक्तव्य पर वहां उपस्थित समुदाय ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
उल्लेखनीय यह है कि भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की इस यात्रा का उद्देश्य आतंकवाद के प्रति “ज़ीरो टॉलरेंस” की नीति पर वैश्विक सहमति बनाना है। स्पेन प्रतिनिधिमंडल की पांच देशों की यात्रा का अंतिम पड़ाव है। प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव कुमार राय, भाजपा के बृजेश चौटा, आप के अशोक मित्तल, राजद के प्रेमचंद गुप्ता और पूर्व राजनयिक मंजीव सिंह पुरी शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल अब भारत लौटेगा।
कनीमोझी ने इस दौरान आतंकवाद पर बयान दिया और भारत की विकास उन्मुख सोच को आगे रखा । उन्होंने कहा, “हमारे देश में बहुत कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन हमें भटकाया जा रहा है। हमें आतंकवाद और अनावश्यक युद्ध जैसी चुनौतियों से निपटना है।”
उल्लेखनीय है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है। कनीमोझी के बयान ने इसी संवैधानिक दृष्टिकोण को दोहराया।
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