हॉकी इंडिया ने देशभर में सदस्य इकाइयों के साथ मिलकर मनाया 77वां ओलंपिक डे
हॉकी इंडिया ने देशभर में सदस्य इकाइयों के साथ मिलकर मनाया 77वां ओलंपिक डे
नई दिल्ली, 23 जून (हि.स.)। हॉकी इंडिया और इसकी सदस्य इकाइयों ने सोमवार को पूरे उत्साह के साथ 77वां ओलंपिक डे मनाया। इस अवसर पर देशभर में विभिन्न प्रकार की खेल गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिनमें फ्रेंडली टूर्नामेंट, प्रदर्शनी मैच, फिटनेस और प्रशिक्षण सत्र, पोस्टर व निबंध लेखन प्रतियोगिताएं, क्विज़, और वृक्षारोपण जैसे आयोजन शामिल रहे। इन आयोजनों के माध्यम से खेल भावना, सौहार्द और ओलंपिक मूल्यों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया।
इस पहल के जरिए हॉकी इंडिया का उद्देश्य विभिन्न समुदायों और पृष्ठभूमियों से जुड़े लोगों को एक मंच पर लाना है, ताकि वे खेलों और फिटनेस के महत्व को समझें और उसे अपनी दिनचर्या में अपनाएं, चाहे उनकी उम्र, लिंग या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
देश के विभिन्न हिस्सों में हॉकी इंडिया की सदस्य इकाइयों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। असम हॉकी, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव हॉकी, हॉकी अरुणाचल, हॉकी मिज़ोरम, छत्तीसगढ़ हॉकी और हॉकी झारखंड ने प्रदर्शनी मैचों का आयोजन किया। वहीं गोवा हॉकी और ओडिशा हॉकी संघ ने हॉकी टूर्नामेंट आयोजित किए।
असम हॉकी, ओडिशा हॉकी संघ और छत्तीसगढ़ हॉकी ने पोस्टर व निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित कीं, जबकि हॉकी मिज़ोरम ने वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। ओडिशा स्थित नेवल टाटा हॉकी अकादमी ने इस दिन को खास बनाने के लिए ओलंपियनों के साथ एक विशेष भोज और क्विज़ प्रतियोगिताएं आयोजित कीं।
ओलंपिक डे हर साल 23 जून को मनाया जाता है, जो 23 जून 1894 को पेरिस में आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत की स्मृति में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में सभी उम्र, लिंग और क्षमताओं के लोगों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है। वर्ष 2023 से यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की “लेट्स मूव” पहल के साथ भी जुड़ा है, जो प्रतिदिन शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का संदेश देती है।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने इस अवसर पर कहा, “हर साल 23 जून को हमारी सदस्य इकाइयाँ ओलंपिक आंदोलन और हॉकी के प्रति अपने समर्पण को दर्शाती हैं। ये आयोजन न केवल फिटनेस और एकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि ओलंपिक डे की उस भावना को भी जीवंत करते हैं, जो हर उम्र, लिंग और क्षमता के लोगों के समावेशन को प्रोत्साहित करती है।”
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