ट्रस्ट की सेवा में दानदाताओं का 4 करोड़ का वार्षिक योगदान!
**गुरमीत लूथरा | अमृतसर** – मां गीता कौर ने अपने बेटे अमनदीप के भीतर गुरबाणी और कीर्तन की ऐसी अलख जगाई कि वह सिख समुदाय के जाने-माने रागी बन गए। बाबा दीप सिंह चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख भाई अमनदीप सिंह ने केवल 5 साल की उम्र में ही जपुजी साहिब का पाठ कंठस्थ कर लिया था। इसके बाद, 11 साल की उम्र में उन्होंने भाई गुरइकबाल सिंह के पास जाकर कीर्तन की विशेष शिक्षा ली। भाई अमनदीप का नाम आज सिख पंथ के प्रमुख रागियों में शामिल है। उनका जन्म 8 सितंबर 1978 को हुआ था और वर्तमान में वह न केवल भारत में बल्कि 20 अन्य देशों में भी कथा-कीर्तन कर संगत को गुरु साहिब और गुरबाणी से जोड़ रहे हैं।
भाई अमनदीप की खासियत यह है कि वे अपनी कीर्तन सेवाओं के लिए कोई remuneration नहीं लेते हैं। जो भी धनराशि कीर्तन से प्राप्त होती है, उसे वे ट्रस्ट में दान कर देते हैं। इस धन से वे प्रतिदिन 2500 जरूरतमंदों का पेट भरने का काम कर रहे हैं। 2017 में जब उन्हें समाज सेवा का विचार आया, तब उन्होंने बाबा दीप सिंह ट्रस्ट की स्थापना की। इस ट्रस्ट के तहत कथा कीर्तन से प्राप्त धनराशि से रामतीर्थ रोड पर 3 एकड़ का स्थान लिया गया है, जहां वर्तमान में स्कूल और अस्पताल संचालन किया जा रहा है।
भाई अमनदीप की यह सेवा केवल यहीं तक सीमित नहीं है। वे सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जिसके लिए रामतीर्थ रोड पर उनके ट्रस्ट के मुख्यालय के बाहर सड़क पर ही बाबा नानक चलती फिरती रसोई के माध्यम से जरूरतमंदों को लंगर प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त, बंदी छोड़ पब्लिक स्कूल में 20 शिक्षक 1200 स्टूडेंट्स को शिक्षा दे रहे हैं, जहां ग्रंथी सिंहों और विधवाओं के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
साथ ही, ट्रस्ट ने एक हेल्थकेयर चेरिटेबल अस्पताल भी संचालित किया है, जिसमें रोजाना 300 मरीजों को केवल 20 रुपए की पर्ची पर 3 दिन की निशुल्क दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाती हैं। भाई अमनदीप की प्रेरणा से बाबा दीप सिंह गुरमत ज्ञानी संगीत एकेडमी भी स्थापित की गई है, जहां 35 बच्चों को कीर्तन, तबला, तंती साज, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा और घुड़सवारी की मुफ्त शिक्षा दी जाती है। ये बच्चे न केवल शिक्षा, बल्कि खानपान और आवास की सुविधा भी फ्री में प्राप्त कर रहे हैं।
इस प्रकार, भाई अमनदीप सिंह ने अपने कार्यों के माध्यम से न केवल अपनी मां की दी गई शिक्षा को आगे बढ़ाया है, बल्कि समाज की सेवा में भी एक नया अध्याय लिखा है। उनकी कठिन मेहनत और स्पष्ट दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल सिख समुदाय में बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया है।