विदेश सचिव का बड़ा खुलासा: पाक से परमाणु हमले का संकेत नहीं, भारतीय एयरबेस पर कहर!
विदेश सचिव विक्रम मिसरी मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष पर संसदीय समिति के समक्ष जानकारी प्रस्तुत करेंगे। इस ब्रीफिंग में वे ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुई एयरस्ट्राइक और 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सीजफायर सहमति के विवरण प्रदान करेंगे। इससे पहले सोमवार को, उन्होंने समिति को बताया था कि पाकिस्तान ने परमाणु हमले के संबंध में कोई संकेत नहीं दिए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई का एक दीर्घकालिक इतिहास है, जिसे कुछ विपक्षी सदस्यों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा युद्ध रोकने में निभाई गई भूमिका पर सवाल उठाते हुए दर्शाया। विदेश सचिव ने दो टूक कहा कि सैन्य कार्रवाई को रोकने का निर्णय दोनों देशों द्वारा लिया गया था।
संसदीय समिति की बैठक में मुख्य रूप से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, तथा बीजेपी की अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल समेत 24 सदस्य उपस्थित रहे। इस समिति के अंतर्गत एक 59 सदस्यीय डेलिगेशन को गठित किया गया है, जिसमें 51 नेता और 8 राजदूत शामिल हैं। यह डेलिगेशन विभिन्न देशों विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का दौरा करेगा और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर 23 मिनट तक चला जिसमें 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया और बाद में पाकिस्तानी एयरबेसों को भी लक्षित किया गया। भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर नियम 10 मई की शाम 5 बजे लागू हुआ, जिसकी जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने X प्लेटफॉर्म पर दी थी। कांग्रेस ने केंद्र से चार नेताओं के नाम प्रस्तावित किए थे, लेकिन केवल आनंद शर्मा को डेलिगेशन में शामिल किया गया, जिससे कांग्रेस ने सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा कि केवल एक नेता को शामिल करना सरकार की निष्ठाहीनता को दर्शाता है।
संसदीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जाने की आवश्यकता महसूस करते हुए AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने 17 मई को बयान दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद के माध्यम से मानवता के लिए खतरा बन गया है। उन्होंने पाकिस्तान की नीतियों पर दृष्टिपात करते हुए कहा कि उनका मकसद भारत को अस्थिर करना है। ओवैसी ने कहा कि वे विदेशी प्रतिनिधियों के समक्ष पाकिस्तान के असली इरादों को उजागर करेंगे और यह बताने का प्रयास करेंगे कि पाकिस्तान अपने आप को इस्लाम का रक्षक बताता है, जो सत्य से कोसों दूर है।
भारत में पहले भी ऐसे डेलिगेशन का गठन किया गया है, जैसे 1994 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने कश्मीर मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में डेलिगेशन भेजा था। यहीं नहीं, 2008 में मुंबई हमलों के बाद भी एक डेलिगेशन को विदेश भेजा गया था, जिससे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने में मदद मिली। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य भारत की रक्षा और सुरक्षा के मुद्दों पर वैश्विक सहानुभूति प्राप्त करना है।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारतीय सैनिकों का कहना है कि उन्होंने पाकिस्तान को एक ऐसा पाठ पढ़ाया है जिसका असर दशकों तक रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में अपने हालिया भाषण में आतंकवादी हमलों का जिक्र किया और स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, जिससे पाकिस्तान को जवाब देने में भी हिचकिचाहट महसूस होगी।