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स्कूली बच्चों को इसी वर्ष से एआई शिक्षा से जोड़ने का प्रयास करेंगे: धर्मेंद्र प्रधान

स्कूली बच्चों को इसी वर्ष से एआई शिक्षा से जोड़ने का प्रयास करेंगे: धर्मेंद्र प्रधान

– भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर का किया शुभारंभ

– बिहार की जिया कुमारी ने भाषा के आधार पर विभाजन का प्रयास करने वालों की आंखें खोल दीं : प्रधान

नई दिल्ली, 19 मई (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तेजी से अपनी जगह बना रहा है। ऐसे में हम इसी वर्ष से देशभर के स्कूली बच्चों को एआई शिक्षा से जोड़ने का प्रयास शुरू करेंगे।

उन्होंने देश के शिक्षाविदों से आग्रह किया कि वे  आयु-उपयुक्त, एआई-एम्बेडेड पाठ्य‑पुस्तकें तैयार करें। उन्होंने कहा, “हमें वृद्धिशील सुधार नहीं, बड़ी छलांग चाहिए। इसके लिए एआई/एमएल जैसी तकनीक को भारतीय भाषाओं से जोड़ना अनिवार्य है ताकि यह बल गुणक बने।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री नई दिल्ली स्थित आकाशवाणी भवन के रंग भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने 13 भारतीय भाषाओं में विकसित नई प्राइमर पुस्तक एवं विशेष मॉड्यूल्स का भी विमोचन किया। इन 13 भाषाओं में कश्मीरी (फारसी-अरबी लिपि), सिंधी (देवनागरी), सिंधी (फारसी-अरबी लिपि), कश्मीरी (देवनागरी), बाल्टी, संथाली, जे़मे, उर्दू, संगतम, लाई (पावी), गोंडी-तेलुगु, भीली (वागड़ी) और चोक्रि शामिल हैं। इसके साथ कुल प्राइमर की संख्या अब 117 हो गई।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज के कार्यक्रम को तमिलनाडु में पली‑बढ़ी बिहार की जिया कुमारी को समर्पित किया। जिया ने हाल ही में 10वीं की परीक्षा में तमिल भाषा में 93 अंक लाकर उन लोगों की आंखें खोल दीं, जो देश में भाषा के आधार पर विभाजन बोने का प्रयास करते है। ऐसे समय में जब भारत अपनी विरासत के साथ चहुंमुखी विकास की ओर बढ़ रहा है, यह आयोजन और भी प्रासंगिक हो जाता है। भारत को विकसित राष्ट्र तथा दुनिया की पहली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें कम‑से‑कम कक्षा 8 तक की शिक्षा मातृभाषा में करवाने की दिशा में तेज गति से प्रयास करना होगा।

उन्होंने कहा कि मातृभाषा में पढ़ाई हमारे बच्चों की प्रारम्भिक समझ को मजबूत बनाती है। आज जब बाजार की ताकतें भी भारतीय भाषाओं को मजबूत कर रही है। हमें अपनी भाषाओं के संवर्धन के लिए पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर सोचना होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चंद्रयान, आकाश और ब्रह्मोस की सफलताएं हमारी शिक्षा‑व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण हैं। हमें शोध पर और अधिक बल देना है। इसी दिशा में पीएमआरएफ को भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोड़कर नई रूप‑रेखा में लाया जा रहा है। इसकी सफलता के लिए समाज के हर तबके को इस पाइपलाइन से जोड़ना आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत हमें भारतीय भाषाओं की गहराई को तकनीक से जोड़ते हुए नई पीढ़ी तक पहुंचना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपक्रम शीघ्र ही देश के हर ज़िले और स्कूल तक पहुंचेगा।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव विनीत जोशी, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी और भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री और अनेक शिक्षाविद मौजूद थे।

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