बॉलीवुड स्टार्स जिन्होंने युद्ध में उठाई बंदूक: नाना पाटेकर समेत कईयों ने छोड़ी एक्टिंग!
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस तनाव के बीच, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का आयोजन किया है। इस सैन्य कार्रवाई की सभी ओर सराहना की जा रही है, जिसमें आम लोगों के साथ-साथ बॉलीवुड सेलेब्रिटीज का भी समर्थन शामिल है। ऐसे समय में, यह जरूरी है कि हम उन फिल्मी सितारों को भी जानें जिन्होंने न केवल पर्दे पर, बल्कि असल जिंदगी में भी देश की सेवा के लिए वर्दी पहनी। इनमें नाना पाटेकर से लेकर गीतकार आनंद बख्शी तक का नाम शामिल है।
नाना पाटेकर, जो अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं, ने बचपन से ही सेना में शामिल होने का सपना देखा था। साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी फिल्मी करियर को छोड़कर भारतीय सेना में भर्ती होने का संकल्प लिया। नाना ने कारगिल युद्ध में दो महीने तक थल सेना के साथ सेवा की। वे क्विक रिएक्शन टीम का हिस्सा बने, जो विशेष परिस्थितियों में त्वरित कार्रवाई करने के लिए जानी जाती है। यह कहना भी जरूरी है कि नाना ने ‘प्रहार’ नामक फिल्म के लिए तीन साल तक आर्मी ट्रेनिंग की थी। जब उन्होंने सेना में भर्ती होने की इच्छा जताई, तो पहले उन्हें मना कर दिया गया। लेकिन जब उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को फोन किया, तो उन्होंने उनकी पृष्ठभूमि को समझने के बाद उन्हें मौका दिया।
दूसरे अद्भुत उदाहरण में गूफी पेंटल हैं, जो ‘महाभारत’ में शकुनि का प्रसिद्ध किरदार निभाने के लिए जाने जाते हैं। गूफी ने 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, किंतु उन्होंने उस समय आर्मी में शामिल होने का निर्णय लिया। उनके चयन के बाद उन्हें चीनी सीमा पर आर्टिलरी में तैनात किया गया। गूफी की यह कहानी यह बताती है कि किस तरह से उन्होंने अपने सपने को साकार किया और अपने देश की सेवा की।
इसके बाद प्रवीण कुमार सोबती का जिक्र किया जा सकता है, जिन्होंने ‘महाभारत’ में भीम का किरदार निभाया। उन्होंने केवल 20 साल की उम्र में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में भर्ती होकर देश की सुरक्षा में योगदान दिया। प्रवीण सोबती ने बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट के रूप में कार्य किया और उन्होंने एशियन गेम्स एवं ओलंपिक्स में भी भारत का गौरव बढ़ाया। उनके निधन पर बीएसएफ ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जो उनकी सेवा का प्रमाण है।
अंत में, आनंद बख्शी का नाम लेते हैं, जिन्होंने बॉलीवुड को कई सदाबहार गाने दिए। उन्होंने भारतीय नौसेना में शामिल होकर पहले अपने देश की सेवा की। आनंद ने जबलपुर में 1947 में महज 17 साल की उम्र में फौज के सिग्नल कोर में प्रवेश किया। सेना में रहते हुए उन्होंने नाटकों का हिस्सा भी बने, जिसने उनके कला कौशल को निखारा। वे वास्तव में एक ऐसे फौजी थे जो गीत लेखन और अभिनय में भी पर्यवेक्षक बने। इन सभी सितारों की कहानियाँ हमें यह बताते हुए प्रेरित करती हैं कि किस प्रकार उन्होंने अपने देश के प्रति निष्ठा दिखाई।