आर्थिक तंगी से परेशान TMKOC एक्टर ललित मनचंदा ने फांसी लगाकर की आत्महत्या!
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ शो के поклонकारों के लिए एक बेहद दुखद समाचार आया है। मेगाहिट शो के पूर्व कलाकार ललित मनचंदा ने आत्महत्या की है। इस खबर की पुष्टि सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) ने की है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर इस अभिनेता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ललित उनके सदस्य थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ललित ने अपने मेरठ स्थित निवास पर इस घातक कदम को उठाया है। पुलिस ने उनकी लाश को पंखे से लटका हुआ पाया और मामले की जांच प्रारंभ कर दी है।
ललित का शव पोस्टमार्टम करने के बाद उनके परिवार को सौंप दिया गया है। परिवार के सदस्यों ने जानकारी दी कि वह रविवार रात अपने कमरे में गए थे, लेकिन अगली सुबह जब परिवार के अन्य सदस्य उन्हें चाय के लिए जगाने गए, तो उनका शव पंखे से लटका हुआ पाया गया। घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। ललित अपने पीछे पत्नी तरु मनचंदा, 18 वर्षीय बेटे उज्जवल और बेटी श्रेया मनचंदा को छोड़ गए हैं।
अभिनेता की निजी जिंदगी में चल रही समस्याओं के बारे में जानकारी मिली है कि वह आर्थिक तंगी की वजह से मानसिक तनाव में थे। पिछले कुछ समय से वह अपने करियर और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे। ललित ने मुंबई को छोड़कर अपने गृहनगर मेरठ का रुख किया, जहां वह अपनी पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे थे। वह लंबे समय से बेरोजगार रहे, जिसके चलते वह गहरे अवसाद में चले गए थे। कोविड-19 महामारी के बाद से उन्हें कोई काम नहीं मिला था, जो उनकी परेशानी को और बढ़ा रहा था।
ललित मनचंदा की आत्महत्या ने उद्योग में एक गंभीर संदेश भेजा है कि मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना कितना कठिन हो सकता है। यह स्थिति न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार को भी प्रभावित कर रही है। ललित ने ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के अलावा कई अन्य अपराध आधारित शोज में भी काम किया है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्हें कोई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट नहीं मिला।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि मनोरंजन उद्योग में काम करने वाले लोगों को भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की समस्याएं आमतौर पर नजरअंदाज की जाती हैं। ललित की दुखद स timeout केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमें दूसरों के साथ ज्यादा संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण होने की आवश्यकता है। समाज को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि ऐसे दुर्भाग्य से बचा जा सके।