तेजस का धमाकेदार बयान: ‘ग्राउंड जीरो’ और ‘देव माणूस’ की रिलीज है दोहरी परीक्षा का अनुभव!
निर्देशक तेजस प्रभा विजय देओस्कर की दो महत्वपूर्ण फिल्में ‘ग्राउंड जीरो’ और ‘देव माणूस’ 25 अप्रैल को एक साथ रिलीज़ हुई हैं। इस अवसर पर तेजस ने इन दोनों फिल्मों के विषय, कलाकारों के साथ काम करने के अनुभव, और शूटिंग के दौरान सामने आई चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। तेजस का कहना है कि दोनों फिल्में उनके लिए बेहद खास हैं और पूरी तरह से अलग-अलग अवधारणाओं पर आधारित हैं। ‘ग्राउंड जीरो’ कश्मीर की संवेदनशील परिस्थिति पर आधारित हैं, जिसमें एक्शन और थ्रिल का समावेश है, जबकि ‘देव माणूस’ एक अधिक व्यक्तिगत और मनोवैज्ञानिक कहानी है, जो मानवीय स्वभाव के जटिल पहलुओं को उजागर करती है। उनकी इन फिल्मों की भाषा भी अलग है, ‘ग्राउंड जीरो’ हिंदी में है और ‘देव माणूस’ मराठी में।
जम्मू-कश्मीर में ‘ग्राउंड जीरो’ की शूटिंग करते वक्त तेजस को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि वहां शूटिंग के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी थी। इसके साथ ही, यह फिल्म 2001-2003 की पृष्ठभूमि पर आधारित थी, इसलिए उन्हें यह सुनिश्चित करना पड़ा कि दृश्य कथानक में आधुनिक तत्व नहीं दिखें। इसके लिए कई बार सुरक्षा प्रोटोकॉल का सामना करना पड़ा। तेजस ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का आभार प्रकट किया, जिन्होंने शूटिंग के लिए आवश्यक अनुमतियां दिलाने में मदद की।
तेजस ने यह भी बताया कि ‘ग्राउंड जीरो’ में वास्तविकता के करीब के एक्शन दृश्यों को दर्शाने के लिए बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) से सहायता ली गई। उन्होंने बताया कि बीएसएफ के अधिकारी न केवल उन्हें हथियारों और तकनीकी सहायता मुहैया कराने में मदद कर रहे थे, बल्कि उन्होंने अभिनेताओं को सही तरीके से अपने किरदार निभाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया। इस सहयोग ने फिल्म के एक्शन दृश्यों को विश्वसनीयता प्रदान की और दर्शकों के लिए एक आकर्षक अनुभव उत्पन्न किया।
दूसरी फिल्म ‘देव माणूस’ पर चर्चा करते हुए तेजस ने कहा कि यह फिल्म मानवीय स्वरूप और नैतिक दुविधाओं का अन्वेषण करती है, जिससे हर दर्शक सहजता से जुड़ सकता है। यह फिल्म आम जीवन की घटनाओं पर आधारित है, जो दर्शाती है कि किसी भी साधारण व्यक्ति को अचानक कठिन परिस्थितियों में कैसे सोचना पड़ सकता है। तेजस ने महेश मांजरेकर को इस फिल्म के लिए चुने जाने के कारण बताए और कहा कि वह इस भूमिका के लिए एकदम सही थे।
महेश का किरदार भी खास है, क्योंकि वह वारकरी समुदाय का हिस्सा हैं, जो महाराष्ट्र की एक प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा में भाग लेते हैं। तेजस ने स्पष्ट किया कि ‘देव माणूस’ की कहानी मूल रूप से फिल्म ‘वध’ का रूपांतरण है, लेकिन इसमें एक अलग गहराई और दृष्टिकोण पेश किया गया है। उन्होंने दर्शकों से अपेक्षा व्यक्त की कि वे इस फिल्म को देखेंगे, जो परिचित परिस्थितियों में मानवीय संवेदना को गहराई से दिखाती है।
इन दोनों फिल्मों के माध्यम से तेजस ने एक नई कहानी कहने का साहस और चैलेंज लिया है, जो कि भारतीय सिनेमा में एक अनोखी पहल है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दर्शक इन फिल्मों को किस प्रकार स्वीकारते हैं और ये दो भिन्न कहानी कहने की शैलियों को कैसे प्रतिक्रिया मिलती है।