‘शरबत जिहाद’ का यूपी से रहस्यमय कनेक्शन, 300 करोड़ की कमाई का चौंकाने वाला खुलासा!
बाबा रामदेव एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान के कारण सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने नाम लिए बिना शरबत बनाने वाली कंपनी ‘रूह अफजा’ पर टिप्पणी की है, जिसे उन्होंने ‘शरबत जिहाद’ करार दिया। यह बयान उन्होंने पतंजलि के शरबत का प्रचार करते हुए दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आइये जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी और रूह अफजा की पृष्ठभूमि।
रामदेव के इस विवादास्पद बयान की शुरुआत एक वीडियो से हुई, जिसमें वह लोगों को पतंजलि के शरबत का प्रचार करते हुए नजर आए। उन्होंने अपने बयान में कहा, “गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए लोग सॉफ्ट ड्रिंक के बहाने टॉयलेट क्लीनर का सेवन कर रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ एक कंपनी शरबत बनाती है, लेकिन उसके द्वारा कमाए गए पैसे मदरसों एवं मस्जिदों के निर्माण में लगते हैं।” उन्होंने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि पतंजलि के शरबत का सेवन करने से गुरुकुल और भारतीय शिक्षा बोर्ड का विकास होगा। इसी क्रम में उन्होंने ‘शरबत जिहाद’ की संकल्पना का जिक्र किया, जिसके संदर्भ में उनका इशारा रूह अफजा की तरफ था।
बाबा रामदेव के बयान पर कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि बाबा को अपने उत्पाद का प्रचार करने का पूरा हक है, लेकिन उन्हें रूह अफजा को जिहाद से जोडकर इसे गलत सिद्ध नहीं करना चाहिए। देवबंद के मौलाना कारी इसहाक गोरा ने भी उनके बयान की निंदा की और कहा कि जब तक बाबा रामदेव माफी नहीं मांगते, तब तक लोगों को पतंजलि के उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।
इतना ही नहीं, रूह अफजा की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। इसकी शुरुआत 1907 में दिल्ली से हुई थी, जब हकीम हफीज अब्दुल मजीद ने गर्मियों के मौसम में लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए इसे बनाना शुरू किया। हकीम अब्दुल मजीद ने संतरा, तरबूज, अनानास और जड़ी-बूटियों को मिलाकर एक सिरप तैयार किया, जिससे शरीर में पानी की कमी को दूर किया जा सके। इस सिरप को उन्होंने ‘रूह अफजा’ नाम दिया, जिसका अर्थ है ‘रूह को ताजगी देने वाला’। आज इस कंपनी ने 100 साल से अधिक का सफर तय कर लिया है और यह भारत समेत पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी अपने उत्पाद बेचान रही है।
रूह अफजा केवल एक उत्पाद नहीं है, बल्कि यह भारतीय गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। इसकी लोकप्रियता ने इसे सभी समुदायों के बीच स्वीकार्यता दिलाई है। कंपनी का कार्यक्षेत्र न केवल शरबत तक सीमित है, बल्कि इसके अंतर्गत एनर्जी ड्रिंक्स, मिल्कशेक, लस्सी आदि जैसे कई उत्पाद भी शामिल हैं। रूह अफजा का लाभांश भी समाज सेवा कार्यों में जाता है, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किया जाता है।
बाबा रामदेव का यह बयान और रूह अफजा का ऐतिहासिक सफर दोनों एक महत्वपूर्ण विषय हैं, जो भारतीय समाज की धर्मनिरपेक्षता और विविधता को दर्शाते हैं। इससे यह समझना आवश्यक है कि किसी भी उत्पाद का प्रचार किसी धर्म से जुड़कर नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता और ग्राहक की पसंद पर निर्भर करता है।