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जयंत चौधरी के खिलाफ बगावत: महासचिव का इस्तीफा, वक्फ बिल पर विश्वासघात का आरोप!

बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में वक्फ बिल के खिलाफ बगावत का माहौल बनता जा रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने पार्टी को छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिजवी का कहना है कि जयंत चौधरी ने मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने मुसलमानों को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्हें भरपूर समर्थन दिया, वही अब उन पर बनी कानूनों का समर्थन कर रही है।

इसके साथ ही, हापुड़ के जिला महासचिव मोहम्मद जकी ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया है। जकी ने पार्टी पर वादे तोड़ने और ईमानदार राजनीति का खोखला दावा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी का पार्टी के प्रति झुकाव अब सत्ता की ओर बढ़ चुका है, जिससे पार्टी के मूल उद्देश्य और सिद्धांत पीछे छूट गए हैं। इसके अलावा, मुजफ्फरनगर में रालोद के युवा विधानसभा अध्यक्ष वाजिद अली ने भी पार्टी सदस्यता से इस्तीफा दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी में असंतोष की लहर बढ़ रही है।

शाहजेब रिजवी मेरठ जिले के फलौदा थाने के अंतर्गत रसूलपुर गांव के निवासी हैं। वे पहले समाजवादी पार्टी के सदस्य रहे हैं, लेकिन इसके बाद रालोद से जुड़े। रिजवी की पहचान तब बनी जब उन्होंने कर्नाटक कांग्रेस के विधायक आर अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन पर पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के लिए 51 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। उस समय नवीन का सोशल मीडिया पोस्ट बेंगलुरु में दंगे भड़काने का कारण बना था, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग जख्मी हुए थे। इस पूरे प्रकरण में रिजवी के बयान ने उनकी पहचान को और अधिक विवादास्पद बना दिया।

इस बीते घटनाक्रम के बाद, मेरठ की पुलिस ने शाहजेब रिजवी को गिरफ्तार किया था। उन्होंने एक वीडियो में अपने समुदाय के लोगों से अपील की थी कि जो कोई भी नवीन का सिर काटकर लाएगा, उसे 51 लाख का इनाम मिलेगा। यह मामला काफी चर्चा में रहा और पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया। इस बगावत और इस्तीफे के बीच, यह साफ हो रहा है कि रालोद पार्टी के भीतर आंतरिक मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं, जो पार्टी की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

इन सब घटनाओं के बीच, संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क भी विवादों में फंसे हुए हैं। उन्होंने जामा मस्जिद के सदर को फोन कर हिंसा के संदर्भ में आशंकाएँ जताई और सर्वे न होने की अपील की। इस मामले में SIT जांच कर रही है, जो कि राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक जटिल बनाने का काम कर रही है। इन सभी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति इन दिनों काफी गरम है, और इसके परिणाम बहु-आयामी होंगे।

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