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रामजीलाल सुमन पर बुलडोजर कार्रवाई की मांग, करणी सेना की आगरा में हुंकार!

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के राणा सांगा को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान ने एक नए विवाद की शुरुआत कर दी है। खासकर, क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने इस मुद्दे पर आगरा में डेरा जमा लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि 12 अप्रैल को लाखों लोग आगरा में सांसद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्रित होंगे। शेखावत का आरोप है कि सांसद ने देशद्रोह का अपराध किया है, और उन्होंने मांग की है कि रामजीलाल सुमन की सदस्यता तुरंत समाप्त की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपनी शक्ति दिखाने के लिए बाध्य होंगे।

राज शेखावत ने अपने इरादों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि 12 अप्रैल को आयोजित होने वाला रक्त स्वाभिमान सम्मेलन आगरा के कुबेरपुर स्थित गढ़ी रामी में होगा। सम्मेलन में पूरे देश से लोग एकत्रित होंगे, जिसमें कई प्रमुख जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। शेखावत का कहना है कि यह आयोजन राणा सांगा की जयंती के अवसर पर होगा और इसका मुख्य उद्देश्य एकता के साथ अपनी आवाज उठाना है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हमारी अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, हम शांत नहीं बैठेंगे।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध क्षत्रिय नेता ओकेंद्र राणा करेंगे, जो सुनिश्चित करेंगे कि उनकी मांगें और अपेक्षाएं सरकार तथा प्रशासन के समक्ष रखी जाएं। शेखावत ने यह स्पष्ट किया है कि वे मांगें पूरी नहीं होने पर प्रशासन और सरकार को 5 बजे तक का समय देंगे, इसके बाद वे अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार हैं। उस दिन क्या करने की योजना है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें न्याय के लिए लड़ना आता है और हम अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं।

सपा सांसद रामजीलाल सुमन के बयान के संदर्भ में शेखावत ने खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि सांसद ने हस्ताक्षर किए हैं और इसी कारण उन्हें राष्ट्रद्रोही माना जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद ने सभी सनातनियों को गद्दार और अपमानित किया है। इस प्रतिक्रिया के चलते क्षत्रिय करणी सेना ने 26 मार्च को रामजीलाल सुमन के घर पर हमला किया, जिसका मकसद अपनी आवाज उठाना था।

सिर्फ एक बयान के कारण उठे इस विवाद में पुलिस भी मैदान में आई थी। करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सांसद के घर के बाहर तोड़फोड़ की, जिसके कारण 14 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। इस प्रकार, यह प्रकरण न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन गया है। अब देखना यह है कि 12 अप्रैल को होने वाले सम्मेलन से क्या नतीजे निकलते हैं और सांसद के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन की दिशा क्या होगी।

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