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एएसपी-गर्लफ्रेंड की मौत: वो कौन जिसने चलाई पिस्टल? जानें 4 सुसाइड नोट का रहस्य!

राजस्थान में हुई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। जयपुर के शिवदासपुरा थाना क्षेत्र में एटीएस के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आशीष प्रभाकर (40) और उनकी सहेली पूनम (26) की स्कॉर्पियो के अंदर मिली लाश के मामले ने पूरे प्रशासन को ध्यान में आ गया है। प्रारंभिक जांच के दौरान दो सुसाइड नोट भी बरामद हुए हैं, जिनमें आशीष ने पूनम और उसके सहयोगियों पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। यह मामला अब एएसपी के सुसाइड नोट के आधार पर ही आगे बढ़ रहा है, जिसमें उन्होंने सात नाम सहित मोबाइल नंबर भी लिखे थे।

पुलिस की प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि आशीष और पूनम की मुलाकात 2012 में हुई थी जब पूनम अपने पति से विवाद के कारण काफी परेशान थी। आशीष उस समय माणक चौक पुलिस थाने में तैनात थे और पूनम की मदद के सिलसिले में दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ी। समय के साथ पूनम ने तलाक ले लिया, जबकि आशीष का स्थानांतरण अलवर हुआ था। इस प्रक्रिया में दोनों के बीच नजदीकी बढ़ी, जिससे आशीष के परिवार में तनाव उत्पन्न हुआ। हालाँकि, दोनों असामान्य स्थिति का सामना कर रहे थे, जिससे तनाव और बढ़ गया।

पुलिस के अनुसार, आशीष ने अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में कई सुसाइड नोट लिखे, जिनमें एक हिस्सा उनके बच्चों और माता-पिता के नाम भी था। इन नोट्स में आशीष ने अपने जीवन के प्रति पछतावे और अपने बच्चों को सिखाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं। वहीं दूसरी ओर, दोनों के बीच के तनाव को लेकर कई रहस्य भी हैं, जिनके चलते उन्होंने आत्महत्या करने की दिशा में कदम उठाया।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सुसाइड की बजाय मर्डर का भी हो सकता है। पुलिस जांच में पाया गया कि वारदात के दिन आशीष का मानसिक तनाव काफी बढ़ गया था। तीन सप्ताह पहले आशीष अचानक प्रशिक्षण के दौरान लापता हो गए थे, और इस दौरान पूनम ने उनके खिलाफ टॉर्चर का मामला भी दर्ज कराया था। इस सबके चलते यह मामला काफी पेचीदा हो गया है। घटना के बाद आशीष के परिवार ने स्पष्ट किया है कि उन्हें इस संकट की जानकारी नहीं थी और यदि उन्हें जानकारी होती, तो शायद स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था।

हालांकि, पुलिस ने जांच के दौरान सुसाइड नोट में दिए नामों की गहनता से जांच की, लेकिन किसी भी बाहरी व्यक्ति के शामिल होने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। इस मामले की जटिलता को देखते हुए, पुलिस ने इसे बंद करने का निर्णय लिया है। जांच के दौरान, न तो पूनम के परिवार के सदस्य आए, न ही किसी ने स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की। इस तरह के घटनाक्रम ने एक बार फिर समाज में महिलाओं के प्रति मानसिक प्रताड़ना और पारिवारिक संबंधों की जटिलता को उजागर किया है। भारत में अपराध और अवसाद के मामलों में ऐसे घटनाक्रम चिंताजनक हैं, जो यह दर्शाते हैं कि समाज को सुधारने के लिए और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

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