पूर्व मंत्री का सनसनीखेज दावा: CM मान-अरोड़ा की उपचुनाव रणनीति पर गहरा हमला!
पंजाब के लुधियाना क्षेत्र के हल्का पश्चमी में उप-चुनाव की तिथि चुनाव आयोग द्वारा जल्द ही घोषित किए जाने की उम्मीद है। इस बीच, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल की हल्के में लगातार यात्राएँ जारी हैं। इस संदर्भ में, कांग्रेस के पूर्व मंत्री और हल्का पश्चमी से चुनावी दावेदार भारत भूषण आशु ने इन नेताओं पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि यह यह दर्शाता है कि आप की स्थिति कितनी कमजोर हो गई है, जब उन्हें बिना उप-चुनाव की घोषणा के पहले से ही चुनाव प्रचार में जुटना पड़ रहा है।
आशु ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और केजरीवाल की सक्रियता इसलिए बढ़ गई है कि उन्हें अपने संभावित हार का अहसास हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध खड़े होकर लोकल स्तर पर आप की स्थिति कमजोर होने का संकेत है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आम आदमी पार्टी ने हार के डर से मजबूर होकर चुनावी माहौल में शामिल होने का फैसला किया है। आशु ने यही भी कहा कि यह दोनों नेता लुधियाना के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में हैं ताकि अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सकें।
इससे परे, आशु ने यह भी कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता संजीव अरोड़ा को मजबूरी में इस चुनाव में उतरना पड़ रहा है, और उन्हें यह अहसास हो गया है कि लुधियाना पश्चिम विधानसभा की सीट पर उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। आशु ने चुनौती देते हुए कहा कि उप-चुनाव के बाद नतीजे पूर्वानुमानित हैं, और आप का उम्मीदवार किसी भी स्थिति में नहीं जीतने वाला है।
आशु ने यह भी संकेत दिया कि यदि आम आदमी पार्टी चाहती है कि संजीव अरोड़ा चुनावी लड़ाई में शामिल रहें, तो उन्हें पहले ही राज्यसभा की सीट को छोड़ने के लिए मजबूर करना होगा। उन्होंने यह सुझाव दिया कि पार्टी को अपने राज्यसभा सदस्य से इस्तीफा देने के लिए कह देना चाहिए ताकि चुनाव की तैयारियों में किसी प्रकार की बाधा न आए। उनका कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो आप को अगले चुनाव में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
आखिरकार, यह स्पष्ट है कि लुधियाना पश्चिम में हल्का पश्चमी के उप-चुनाव की तैयारी के साथ-साथ राजनीतिक भ्रमण और बयानबाजी का दौर जारी है। आशु ने अपनी टिप्पणियों के माध्यम से यह जताने की कोशिश की है कि हालात आम आदमी पार्टी के अनुकूल नहीं हैं और वे हार की आशंका के चलते बेचैनी महसूस कर रहे हैं। इस उप-चुनाव की कहानी अभी शुरू हुई है और इसके नतीजे सभी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।