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जेएलएन अस्पताल: दवा संकट पर नोटिस, प्रभारी से तुरंत जवाब तलब!

जेएलएन अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में चल रही मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत जीवन रक्षक दवाइयों की उपलब्धता को लेकर प्रशासन ने गंभीर चिंता प्रकट की है। हाल ही में, अस्पताल के काउंटर और सेंट्रल स्टोर से दवाइयां खत्म हो जाने के मामले में प्रशासन ने स्टोर प्रभारी को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है। प्रशासन का कहना है कि पहले ही स्टोर इंचार्ज और डीडीसी प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि दवाइयां खत्म होने से पहले अस्पताल प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य है। इसके बावजूद, किसी भी कर्मचारी ने इस मुद्दे पर आवश्यक सूचना नहीं दी, जिसके कारण मरीजों को दवाइयों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा है।

इस मामले की गहन जांच करने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने सभी प्रभारियों से विस्तृत सूची मांगी है। सूची में यह बताने के लिए कहा गया है कि कौन-कौन सी जीवन रक्षक दवाइयां किस काउंटर पर उपलब्ध नहीं हैं और ये दवाइयां कितने समय से स्टॉक में नहीं आई हैं। इसके अलावा, प्रबंधन ने स्टोर और फार्मासिस्ट से यह जानकारी भी मांगी है कि किन काउंटरों पर किस प्रकार के रोगियों की अधिक संख्या होती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जहां रोगियों की अधिकता हो, वहां प्राथमिकता के आधार पर आवश्यक दवाइयों को पुनः स्टॉक किया जा सके।

अस्पताल प्रबंधन के उच्च अधिकारियों ने यह भी निर्णय लिया है कि एक कार्मिक के पास अब केवल एक ही कार्यभार होगा। जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनिल सामरिया और अधीक्षक डॉ. अरविन्द खरे के अनुसार, कई कार्मिक ऐसे थे जिनके पास तीन या चार अलग-अलग कार्यभार थे, जिससे कार्य में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल हो रही थी। उपअधीक्षक डॉ. अमित यादव ने स्पष्ट किया कि दवा स्टोर प्रभारी के पास स्टोर के साथ-साथ प्रधानमंत्री जनऔषधि दवा केन्द्र और फार्मासिस्टों की ड्यूटी का शेड्यूल बनाने जैसे कई कार्य थे, जिससे उन्हें सभी स्थानों पर उचित ध्यान देने में कठिनाई हो रही थी।

प्रशासन की इस नई व्यवस्था का उद्देश्य कार्य की प्रभावशीलता बढ़ाना और मरीजों को उचित दवाइयों के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करना है। अस्पताल प्रबंधन ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे समय-समय पर अपनी जिम्मेदारियों को समझें और आवश्यक कार्य को प्राथमिकता के साथ करें। इस कदम से उम्मीद है कि मरीजों को दवाइयां समय पर मिल सकेंगी और उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

यह समाचार अभी हाल ही में सामने आया है और सभी की निगाहें प्रशासन के आगामी निर्णयों पर टिकी हैं। अस्पताल प्रबंधन की यह तत्परता न सिर्फ मरीजों की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगी, बल्कि चिकित्सा प्रणाली में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व भी लाएगी।

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