फटे कुर्ते, नंगे पैर: यूपी विधायक का सीएम योगी पर निशाना, रामकथा विवाद पर चुप्पी से दुखी
यूपी के गाजियाबाद जिले की लोनी विधानसभा से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के निमंत्रण पर भोपाल पहुंचे। उमा भारती ने गुर्जर से 20 मार्च को होने वाली रामकथा की कलश यात्रा में पुलिस के हस्तक्षेप और विवाद के बारे में चर्चा की। उनके अनुसार, गुर्जर समाज के लोग इस घटनाक्रम से मानसिक रूप से आहत हैं और उनका दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। उमा भारती ने ट्वीट करते हुए कहा कि गुर्जर समाज को अपनी महान परंपरा को बरकरार रखना चाहिए और एकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने नंदकिशोर गुर्जर को शांति बहाल करने की सलाह दी और कहा कि इसके बाद ही हम आगे की चर्चा करेंगे।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने रामकथा की कलश यात्रा का आयोजन किया। पुलिस ने इसे अनुमति न होने का हवाला देकर रोक दिया, जिसके चलते स्थिति बिगड़ गई। गुर्जर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने महिलाओं और रामभक्तों पर हिंसा की और उनके कपड़े भी फाड़ दिए। जब उमा भारती से बात की गई, तो उन्होंने गुर्जर समाज की स्थिति को दुखद बताया और स्पष्ट किया कि वे गुर्जर समाज के प्रति अपने समर्थन में खड़ी हैं।
दैनिक भास्कर से बातचीत में गुर्जर ने बताया कि उमा भारती एक महान नेता हैं और उन्होंने हमेशा समाज के हक की आवाज उठाई है। गुर्जर ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने गुर्जर समाज को महत्व दिया है और समाज ने भी उन्हें समर्थन दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके खिलाफ हुई कार्रवाई का विरोध करना आवश्यक है। विधायक का कहना है कि वो पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता हैं और उन्होंने यह भी माना कि उनके कुछ बयान आवेश में थे जो नहीं होने चाहिए थे।
गुर्जर ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि रामकथा का आयोजन शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस ने बिना किसी कारण के उत्पात मचाया। उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्य सचिव और अधिकारियों की कार्यशैली को भी सवालिया निशान पर रखा। गुर्जर ने यह भी बताया कि उन्हें उम्मीद है कि वह और अन्य विधायकों की बातें मुख्यमंत्री तक पहुंचेंगी और उचित कार्रवाई की जाएगी।
आखिरकार, गुर्जर ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में उनके साथ अन्याय हुआ है और उनके लिए इंसाफ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अन्न का त्याग कर दिया है और वह शांति की उम्मीद कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांग है कि जो कुछ भी हुआ, उसके लिए दोषियों को सजा मिले। इस पूरे विवाद ने गुर्जर समाज को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है, और अब वे अपने अधिकारों के लिए सख्त कदम उठाने का निर्णय ले चुके हैं।