जिला कांग्रेस अध्यक्ष के बेटे सपा और BJP में, जानिए चौंकाने वाली सच्चाई
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कानपुर के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी आलोक मिश्रा ने नवनियुक्त जिलाध्यक्ष पवन गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर पवन गुप्ता के बेटों में एक समाजवादी पार्टी (सपा) और दूसरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में है, तो क्या वह शहर अध्यक्ष बनने के योग्य हैं? इस आरोप के बाद पवन गुप्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजनीति की कुंठा करार दिया और कहा कि उनका कोई बेटा भाजपा में नहीं है।
पवन गुप्ता ने आलोक के आरोप को सिरे से नकारते हुए बताया कि उनका बड़ा बेटा सिद्धार्थ काशीवार समाज सेवक है और कांग्रेस पार्टी के व्यापार प्रकोष्ठ में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ वैश्य समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। वहीं, उनका दूसरा बेटा अभिमन्यु गुप्ता समाजवादी पार्टी का नेता है, जो गोविंद नगर विधानसभा से चुनाव लड़ चुका है; हालांकि, हाल के महीनों में वह सक्रिय राजनीति से दूर रहा है। गुप्ता ने स्पष्ट किया कि पार्टी में शामिल होने का निर्णय अभिमन्यु खुद करेंगे।
इस मामले पर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश मंत्री अनस उस्मानी ने कहा कि सिद्धार्थ कभी भाजपा के सदस्य नहीं रहे। इसके साथ ही सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने आलोक मिश्रा के दावे को कटाक्ष किया और कहा कि ऐसा आरोप देने का मंच सही नहीं था। उनके अनुसार, विभिन्न राजनीतिक दलों में एक ही परिवार के लोग सक्रिय होना असामान्य नहीं है।
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी ने कहा कि राजनीति में सवाल उठना स्वाभाविक है। परंतु पवन गुप्ता का अपने छोटे बेटे को कांग्रेस में लाने का प्रयास साफ दर्शाता है कि वह पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध हैं। वहीं, पूर्व विधायक सोहेल अख्तर ने कहा कि तीन पार्टियों को एक साथ चलाने वाले का विरोध होना जरूरी है, और आलोक मिश्रा के वक्तव्य का समर्थन किया।
आलोक मिश्रा के आरोपों को लेकर पवन गुप्ता ने कहा कि वह पार्टी की छवि को खराब करने के लिए लिखित शिकायत करेंगे। उन्होंने न्याय की मांग की और कहा कि इस पारिवारिक मामले के माध्यम से आलोक ने राजनीति की दशा को प्रभावित किया है। उनका कहना है कि आलोक को ऐसे हलके आरोप लगाने की आवश्यकता नहीं थी।
इस घटना ने कानपुर की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। जैसे-जैसे पार्टी के नेता इस विषय पर अपने विचार रख रहे हैं, यह विवाद संभावनाओं और राजनीतिक समीकरणों को न सिर्फ प्रभावित करेगा, बल्कि आगामी चुनावों में कांग्रेस की स्थिति पर भी प्रभाव डालेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार के आरोप और उनके उत्तर से पार्टी की एकजुटता का प्रमाण मिलता है। इसे लेकर सभी की निगाहें अब कांग्रेस की आगामी रणनीतियों पर रहेंगी।