ज्ञानवापी विवाद में परिजनों की एंट्री पर उठा सवाल: पुनर्विचार याचिका से हड़कंप!
वाराणसी जिले के सिविल जज (सीनियर डिवीजन / फास्ट ट्रैक) की अदालत में ज्ञानवापी मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुनवाई आज होनी है। यह मामला 33 वर्षों पुराना है और इसके फैसले से पहले कई नए वादकर्ताओं ने आवेदन किए हैं। उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद, इस मामले का निपटारा अभी तक नहीं हो पाया है। पहले हरिहर पांडे के बेटे ने, फिर व्यास के भतीजे सोमेंद्र व्यास ने और अब हरिहर पांडे की बेटियों ने पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की है। उम्मीद की जा रही है कि बुधवार की शाम तक इस याचिका पर बहस पूरी हो जाएगी। वाद मित्र की ओर से इस पर आपत्ति भी दर्ज की गई है, जिससे इस अपील पर जल्द ही निर्णय आने की संभावना बन रही है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि केस के फैसले में अभी समय लगेगा।
इस बीच, ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने के संबंध में, वर्ष 1991 में दाखिल किए गए मुकदमे की सुनवाई जारी है। पिछले सुनवाई में, दोनों पक्षों के बीच लंबी बहस हुई थी। वाद मित्र ने मामले की पुरानी दलीलें पेश कीं और उच्च न्यायालय एवं सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का भी उल्लेख किया। हरिहर पांडे की बेटियों, मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय द्वारा मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने के लिए किए गए प्रार्थना पत्र पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई जारी है।
इस मामले में अदालत ने पहले हरिहर पांडे की बेटियों को उत्तराधिकार से अलग कर दिया था। इस पर आपत्ति जताते हुए वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने मुकदमे के संचालन के लिए गठित ट्रस्ट डीड की प्रति अदालत में प्रस्तुत की है। उन्होंने पत्रावली पर इसे उल्लेखित करने की मांग की है। आज की बहस के बाद, अदालत से आदेश आने की संभावना प्रबल है।
इस मामले ने एक बार फिर से धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को जागरूक किया है। ज्ञानवापी का मुद्दा देश भर में चर्चाओं का विषय बना हुआ है और सभी की नजरें आज की सुनवाई पर हैं। अदालती प्रक्रियाएँ न केवल कानूनी पहलुओं का ध्यान रखती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि सभी पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर मिले। इसके अलावा, यह देखने में दिलचस्प होगा कि अदालत इस प्रकरण में क्या निर्णय देती है और आगे की सुनवाई में क्या मोड़ आता है।