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वक्फ संशोधन बिल पर भारत आदिवासी पार्टी का हंगामा: क्या आदिवासी-दलित जमीनों पर संकट?

बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने वक्फ बिल के खिलाफ सदन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत आदिवासी पार्टी इस बिल का कड़ा विरोध करती है। उन्होंने 2 अप्रैल के ऐतिहासिक महत्व को भी उजागर किया, क्योंकि इसी दिन 2018 में एससी-एसटी एक्ट में बदलाव कर इसे कमजोर किया गया था। उस दिन पूरे देश में एसटी-एससी समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था। सांसद ने कहा कि भविष्य में 2 अप्रैल का दिन एसटी-एससी और मुस्लिम अल्पसंख्यक के लिए काला दिवस के रूप में अंकित होगा।

सांसद ने आगे कहा कि देश में विभिन्नता के बावजूद एकजुटता बनाए रखना आवश्यक है, लेकिन वर्तमान में वक्फ बिल, धर्म, मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों के माध्यम से नफरत की भावना को हवा दी जा रही है। उन्होंने एक उदाहरण के तौर पर बताया कि पहले विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्योहार मनाते थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि लोगों को आइसोलेशन का सामना करना पड़ता है। यह एक घातक वातावरण है, जो देश की एकता को खतरे में डालता है।

राजकुमार रोत ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय का भारत में एक महत्वपूर्ण इतिहास रहा है। उन्होंने खानवा के युद्ध का हवाला देते हुए बताया कि इस युद्ध में बहुत से मुस्लिम योद्धा शहीद हुए थे, जो इस बात का प्रमाण है कि सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ मिलकर इस देश की रक्षा की है। इस प्रकार की एकता की भावना को फिर से संजीवनी प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि आपसी संघर्ष और नफरत न बढ़े।

उन्होंने वक्फ बिल के संदर्भ में बताया कि इस बिल का उपयोग मुस्लिम समुदाय की संपत्ति को व्यावसायिक बनाने के लिए किया जा रहा है। सांसद ने चेतावनी दी कि अगर यह प्रक्रिया जारी रही, तो आने वाले समय में आदिवासी, दलित, ईसाई और गरीब हिंदू समुदाय की संपत्तियों पर भी संकट आ सकता है। उन्होंने झारखंड के उदाहरण का भी उल्लेख किया, जहां भाजपा सरकार ने आदिवासी और दलित पूजा स्थलों की जमीनों को लैंड बैंक के रूप में उपयोग किया, जिसका विरोध किया गया था।

अंत में, सांसद ने सुझाव दिया कि वक्फ बिल के अंतर्गत महिलाओं को सम्मान देना एक अच्छा कदम है, लेकिन देश के कई हिंदू मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश को भी रोका जा रहा है। इस विषय पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उनका स्पष्ट संदेश है कि भारत को एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र की दिशा में बढ़ना चाहिए, जहां हर समुदाय को समान अधिकार और सम्मान मिले।

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