10 दिवसीय संस्कृत भारती का शाही आयोजन श्री लक्ष्मी नारायण आयुर्वेदिक कॉलेज में!
झब्बाल रोड पर स्थित श्री लक्ष्मी नारायण आयुर्वैदिक कॉलेज में हाल ही में 10 दिवसीय संस्कृत भारती समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता दुर्ग्याणा एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष, एडवोकेट रमेश चंद्र शर्मा ने की। इस अवसर पर संस्कृत भारती, नई दिल्ली से कुमारी रजनी विशेष रूप से उपस्थित हुईं, जिन्होंने इस कार्यशाला का नेतृत्व किया। कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को संस्कृत भाषा की महत्ता और इसके माध्यम से आयुर्वेद के ज्ञान को समझाने का था।
कार्यशाला में 100 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और उन्होंने सक्रिय रूप से संस्कृत भाषा के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस दौरान कुमारी रजनी ने संस्कृत के व्याकरण, शाब्दिक अर्थ, तथा आयुर्वेद में इसके उपयोग के संदर्भ में विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और ज्ञान का गहरा स्रोत है। इसलिए, इसका अध्ययन करना आवश्यक है, विशेषकर उन छात्रों के लिए जो आयुर्वेद जैसे प्राचीन विज्ञान में रुचि रखते हैं।
कॉलेज की मुख्य अध्यापिका डॉ. मीनाक्षी अरोड़ा ने कार्यशाला की सराहना की और कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल छात्रों को संस्कृत भाषा से परिचित कराते हैं, बल्कि उन्हें भारतीय परंपराओं और वैज्ञानिक चिंतन के प्रति भी जागरूक करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रकार के कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित होते रहेंगे ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी संस्कृत की गहराइयों में जाकर उसे समझ सकें।
इस कार्यशाला में शिक्षकों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी थी। उन्होंने छात्रों के साथ मिलकर संस्कृत की शिक्षा को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ और शिक्षण पद्धतियाँ अपनाईं। इन गतिविधियों में शैक्षिक खेल, समूह चर्चा, और संस्कृत कविता पाठ शामिल थे, जो छात्रों को अपने ज्ञान को साझा करने और एक-दूसरे से सीखने का अवसर प्रदान करते थे।
कुल मिलाकर, इस 10 दिवसीय संस्कृत भारती समारोह ने छात्रों को न केवल संस्कृत भाषा के महत्व का अनुभव कराया, बल्कि आयुर्वेद के ज्ञान के साथ इसे कैसे जोड़ें, इस पर भी प्रकाश डाला। इस प्रकार के आयोजनों का लक्ष्य है कि युवा पीढ़ी संस्कृत के प्रति अपनी रुचि बढ़ाए और इसके अध्ययन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और विज्ञान के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे। यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण कदम है, जो छात्रों को ना केवल भाषा, बल्कि ज्ञान की विश्वव्यापी धारा से भी जोड़ने का प्रयास करती है।