सुशांत केस में CBI की क्लोजर रिपोर्ट: आत्महत्या की पुष्टि, कोई उकसावे का सबूत नहीं!
सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु 14 जून 2020 को बांद्रा स्थित उनके आवास पर एक रहस्यमय परिस्थिति में हुई थी। शुरू में इसे आत्महत्या के रूप में माना गया, लेकिन बाद में मीडिया और राजनीतिक दबाव के चलते यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपा गया। अब, CBI की अंतिम रिपोर्ट में इस मामले को आत्महत्या के रूप में वर्गीकृत किया गया है। CBI ने 6 अगस्त 2020 को इस मामले में FIR दर्ज की थी और अब 4 साल 6 महीने 15 दिन बाद, उन्होंने अपनी फाइनल क्लोजर रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में CBI ने स्पष्ट किया है कि सुशांत सिंह राजपूत को आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
सुशांत की मृत्यु के कुछ दिन पहले, उनकी मैनेजर दिशा सालियान की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। 8 जून 2020 को दिशा की मौत मुंबई के मालाड क्षेत्र की एक इमारत की 14वीं मंजिल से गिरने के कारण हुई थी। इसे भी संदिग्ध माना गया और दिशा के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को गैंगरेप के बाद मारा गया था।然而, राजनीतिक दबाव के चलते इस मामले की गंभीरता को नजरअंदाज किया गया। शुरुआत में दिशा के पिता को पुलिस की जांच पर विश्वास था, लेकिन बाद में उन्होंने महसूस किया कि यह मामला सही तरीके से नहीं चलाया जा रहा है। इसलिए, 20 मार्च 2025 को उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दिशा की मौत की नए सिरे से जांच और आदित्य ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की।
इसके अलावा, दिशा सालियान की मृत्यु के मामले में बीजेपी सांसद नारायण राणे ने भी बेतुके आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने उनसे अनुरोध किया था कि केस में उनके बेटे आदित्य ठाकरे का नाम न लिया जाए। राणे ने यह भी कहा कि दिशा के पिता को न्याय नहीं मिला और उन्हें अदालत का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने यह मांग की है कि मौजूदा सबूतों के आधार पर आदित्य ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
इस मामले में कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं और जांच स्थितियों को लेकर लगातार अभिव्यक्ति हो रही है। सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान की मौत ने न केवल बॉलीवुड बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। अभी भी लोग इन मामलों में न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। इस मामले में राजनीतिक बखेड़े, मीडिया की भूमिका और न्याय की दिशा में उठाए जा रहे कदम सब कुछ चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। सबकी नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि न्यायपालिका क्या कदम उठाती है और ये मामले किस दिशा में विकसित होते हैं।